भोपाल : अगले महीने अपना कार्यकाल पूरा कर रहे वीडी शर्मा के विकल्प के रूप में तीन नामों की चर्चा चल रही है। सुमेर सिंह सोलंकी, लाल सिंह आर्य और राजेंद्र शुक्ल का नाम दौड़ में आगे है, लेकिन अंतिम फैसला जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर किया जाएगा। एमपी में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। यदि बीजेपी शर्मा को हटाने का फैसला करती है तो चुनाव को ध्यान में रखते हुए वह जातीय कार्ड खेल सकती है। ऐसे समुदाय के व्यक्ति को प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा सकता है जो वोटों की गोलबंदी में सहायक हो। इस लिहाज से तीन नाम चर्चा में हैं।
नड्डा को एक्सटेंशन मिलने के बाद भी उनकी टीम में बड़े पैमाने पर बदलाव तय है। सबसे ज्यादा बदलाव की संभावना उन राज्यों में है जहां बीजेपी की सरकार है। वीडी शर्मा अगले महीने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में तीन साल का कार्यकाल पूरा कर रहे हैं। ऐसे में उनकी जगह किसी दूसरे व्यक्ति को इस पद पर बिठाने की संभावना जताई जा रही है। राज्यसभा सदस्य सुमेर सिंह सोलंकी युवा हैं और अनुसूचित जनजाति समुदाय से आते हैं। मध्य प्रदेश में 23 फीसदी आबादी आदिवासियों की है। 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को आदिवासियों के वोट कम मिले थे। पार्टी उन्हें साधने के लिए लगातार कोशिशों में लगी है। इसको देखते हुए सोलंकी को वीडी शर्मा का विकल्प माना जा रहा है। उनकी एक बड़ी खासियत यह भी है कि वे बचपन से ही आरएसएस से जुड़े रहे हैं और अमित शाह के करीबी माने जाते हैं।
बीजेपी अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष लाल सिंह आर्य पार्टी में एससी समुदाय का चेहरा माने जाते हैं। एमपी में 17 फीसदी वोटर इसी समुदाय से हैं। इनके लिए विधानसभा की 35 सीटें आरक्षित हैं जिनमें से 21 बीजेपी के पास हैं। 2018 के चुनाव में एससी के लिए आरक्षित सीटों पर बीजेपी को आठ सीटों का नुकसान हुआ था। उन्हें साधने के लिए पार्टी लाल सिंह आर्य को प्रदेश बीजेपी की कमान दे सकती है। यदि पार्टी वीडी शर्मा की तरह सामान्य वर्ग के किसी नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाती है तो राजेंद्र शुक्ल प्रबल दावेदार हो सकते हैं। उनके जरिए पार्टी को विंध्य क्षेत्र में वोटर्स को गोलबंद करने में मदद मिलेगी जहां 2018 के चुनाव में उसका प्रदर्शन सबसे खराब रहा था। सीएम शिवराज सिंह चौहान के साथ करीबी भी शुक्ला का रास्ता आसान कर सकती है।
वीडी शर्मा खजुराहो से सांसद हैं। उनके प्रदेश अध्य़क्ष रहते पार्टी ने उपचुनावों और स्थानीय निकाय चुनावों में अच्छी कामयाबी हासिल की। इसे देखते हुए उन्हें सरकार या संगठन में कोई जिम्मेदारी दी जा सकती है। विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय कैबिनेट में एमपी कोटे के मंत्रियों में कुछ फेरबदल हो सकता है। ऐसा हुआ तो शर्मा को मोदी कैबिनेट में जगह मिल सकती है।