मध्य प्रदेश : कूनो नेशनल पार्क में एक और चीता की मौत, अब तक 9 ने दम तोड़ा…

भोपाल : कूनो नेशनल पार्क में एक और चीते की मौत हो गई है। बुधवार को मादा चीता ‘धात्री’ (टिबलिसी) की मौत हो गई है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) असीम श्रीवास्तव ने मौत की पुष्टि की है। इसी के साथ अब तक यहां 9 चीतों की मौत हो चुकी है जिनमें 6 वयस्क और 3 शावक शामिल हैं। जानकारी के मुताबिक ‘धात्री’ का शव कूनो के बाहरी इलाके में मिला। अभी तक मौत के कारणों का पता नहीं चल पाया है। एक और चीते की मौत की खबर से वन विभाग में हड़कंप का माहौल है।

चीतों की मौत से उठे कई सवाल

मध्य प्रदेश में पिछले चार महीने में एक के बाद एक नौ चीतों की मौत के बाद लगातार कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले पर चिंता जताते हुए कहा था कि राजनीति से ऊपर उठकर कुछ चीतों को राजस्थान भेजने पर विचार करना चाहिए। चीता प्रोजेक्ट की समीक्षा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उच्च स्तरीय बैठक ली थी। वहीं शिवराज सरकार ने 8 चीतों की मौत के बाद प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) जसबीर सिंह चौहान को हटा दिया था और उनकी जगह आईएफएस असीम श्रीवास्तव को ये जिम्मेदारी सौंपी थी। लेकिन ये सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है और आज फिर एक चीते की मौत हो गई।

पीढ़ियों से कहीं और बसे हुए चीतों को जब ढोल ढमाकों के साथ भारत लाया गया तो तमाम दावे किए गए। मध्य प्रदेश में कहा गया कि ‘टाइगर स्टेट’ अब ‘चीता स्टेट’ भी बन गया है। लेकिन सारे दावे कुछ ही वक्त में धराशायी भी हो गए। और ये होना संभावित भी था क्योंकि सालों से एक जगह बसे हुए जानवरों को जब बिना किसी वाजिब कारण के निर्वासित कर एकदम नए माहौल में, नई जलवायु में लाया जाएगा..तो ज़ाहिर तौर पर उनके सर्वाइवल पर खतरा तो मंडराएगा ही। ये बात बेजुबान जानवर तो कह नहीं सकते थे और वो इस राजनीति का शिकार हो गए। चीतों को भारत लाना..शायद नेताओं के लिए एक पॉलिटिकल स्टंट हो सकता है क्योंकि इसके जरिए वो अपने खाते में एक और उपलब्धि जुड़वा सकते हैं…लेकिन अब प्रोजेक्ट की नाकामी की जिम्मेदारी आखिर कौन लेगा ? लगातार चीतों की मौत से बाद ये सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि क्या अब भी इन्हें किसी और सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट नहीं करना चाहिए, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है।

कूनो नेशनल पार्क में 9 चीतों की मौत

  • 27 मार्च को सबसे पहले किडनी में संक्रमण के चलते चार साल की मादा चीता साशा की मौत हुई, इसकी बीमारी के बाद बहुत प्रार्थनाएं की गई लेकिन कुछ काम नहीं आई।
  • 23 अप्रैल को नर चीता उदय की  मौत हो गई, मौत का कारण हार्ट अटैक बताया गया। उदय को उसके बाड़े में लड़खड़ाकर  चलते हुए अचानक बहोश होते देखा गया था।
  • 9 मई को बाड़े में दो नर चीतों अग्नि और वायु के साथ संघर्ष में मादा चीता दक्षा की मौत हो गई।
  • 23 मई को कूनो नेशनल पार्क में मादा चीता सियाया (ज्वाला) के चार शावकों में से एक चीता शावक की मौत हुई।
  • 25 मई को चीता ज्वाला के दो अन्य शावकों की मौत हो गई ।
  • 11 जुलाई को नर चीता तेजस की मौत हो गई। इसकी मौत का कारण ट्रॉमेटिक शॉक बताया गया।
  • 14 जुलाई को नर चीता सूरज की मौत हो गई, निगरानी दल को ये घायल अवस्था में मिला था।
  • 2 अगस्त को मादा चीता धात्री (टिबलिसी) की मौत हुई।

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