उज्जैन : विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश का पहला जीरो वेस्ट मंदिर परिसर बनने जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब मंदिर से जो भी कचरा निकलेगा उससे 3R टेक्निक के जरिए रीसाइकिल किया जाएगा। इसके बाद जो खाद तैयार होगा उससे महाकाल लोक में बनाए गए गार्डन को हरा-भरा किया जाएगा। 15 फरवरी से इस काम की शुरुआत की जाने वाली है। उज्जैन में जब से महाकाल लोक का निर्माण हुआ है श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा हो गया है। इसे देखते हुए मंदिर परिसर में आधुनिक सुविधाओं में भी बढ़ोतरी की जा रही है। इसी कड़ी में अब मंदिर को जीरो वेस्ट बनाने की तैयारी कर ली गई है। महाकाल मध्य प्रदेश का पहला जीरो वेस्ट मंदिर होगा जहां इस तकनीक का प्रयोग किया जाएगा।
मंदिर प्रशासक संदीप सोनी के मुताबिक काम शुरू कर दिया गया है और आसपास के दुकानदारों को सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल ना करने के आदेश दे दिए गए हैं। मंदिर से जितना भी गीला और सूखा कचरा निकलता है उसे रिसाइकिल कर खाद बनाने के लिए एक प्लांट लगाया जाने वाला है और सभी कचरा यहीं पर प्रोसेस किया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक महाकाल लोक की सरफेस एरिया पार्किंग में ऑर्गेनिक वेस्ट टू कंपोस्ट प्लांट लगाया जाने वाला है। इस प्लांट की मदद से निकलने वाले कचरे को 3R टेक्निक यानि रिड्यूस, रीयूज, रीसाइकिल के माध्यम से निपटारा कर खाद तैयार की जाने वाली है। रोजाना लगभग 60000 श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं और महाकाल लोक बन जाने की वजह से मंदिर का क्षेत्रफल बढ़ गया है। ऐसे में शनिवार रविवार के दिन तो एक से सवा लाख श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं की संख्या में इजाफा होने के साथ कचरा भी ज्यादा निकल रहा है। भगवान महाकाल को रोज लगभग 4 क्विंटल के करीब हार फूल और मालाएं अर्पित की जाती है। इसके अलावा अन्न क्षेत्र से लगभग 1 क्विंटल वेस्ट निकलता है। कुल मिलाकर रोज 5 क्विंटल कचरा इकट्ठा होता है।
निगम नहीं जाएगा कचरा
अब तक मंदिर परिसर से जितना भी कचरा इकट्ठा होता था उसे रीसाइकिल करने के लिए निगम की प्रोसेसिंग यूनिट में भेजा जाता था। लेकिन अब मंदिर परिसर में ही प्लांट लग जाने के चलते कचरे का निस्तारण यहीं पर किया जा सकेगा। मंदिर परिसर और महाकाल लोक में बड़ी संख्या में पेड़ पौधे लगाए गए हैं। कचरे के निस्तारण के बाद तैयार की गई खाद से ही इन्हें हरा भरा रखा जाएगा। मंदिर के आसपास मौजूद दुकानों से जो कचरा निकलता है उसे भी प्रोसेस करने के बाद खाद तैयार कर महाकाल लोक के गार्डन में उपयोग किया जाएगा।
सूखे कचरे का क्या होगा
परिसर से निकलने वाला सूखा कचरा जिसमें प्लास्टिक की बोतल, theki और प्रसाद में उपयोग होने वाले प्लास्टिक के पैकेट शामिल है सहित अन्य चीजों को प्लांट में प्रोसेस करने के बाद किसी फैक्ट्री या फिर रिसाइकिल यूनिट को दे दिया जाएगा। कोशिश यही की जाएगी कि मंदिर से निकले हुए कचरे को प्रोसेस कर मंदिर के उपयोग में ही लगाया जाए। इस सुविधा के शुरू होने के बाद महाकाल मंदिर एक और चीज के लिए फेमस होगा क्योंकि वह मध्य प्रदेश का पहला जीरोवेस्ट मंदिर बन जाएगा।