उज्जैन। उज्जैन में आज बाबा महाकाल की कार्तिक मास की तीसरी सवारी निकलने वाली है। कार्तिक और अगहन मास में भी भक्तों को दर्शन देने के लिए बाबा नगर भ्रमण पर निकलते हैं। आज भी महाकाल मंदिर से निकलकर क्षिप्रा तट पर पहुंची सवारी पारंपरिक मार्ग से वापस मंदिर आएगी।
सावन की तरह कार्तिका अगहन में अपने शाही ठाठ बाट के साथ राजा महाकाल रजत पालकी में सवार होकर प्रजा का हाल जानने के लिए निकलते हैं। कार्तिक और अगहन में कुल चार सवारी निकलती है, जिसमें से आज कार्तिक मास की तीसरी सवारी है। सवारी से पहले सभा मंडप में श्री महाकाल के मुखौटे का मंत्रोच्चार के साथ पूजन अर्चन किया जाता है। जिसके बाद उन्हें रजत पालकी में सवार कर नगर भ्रमण करवाया जाता है।
मंदिर से निकलने के बाद बैंड बाजे और घुड़सवारों से सजी सवारी गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहार वाड़ी होते हुए रामघाट पहुंचेगी। यहां बाबा महाकाल का शिप्रा जल से पूजन अर्चन करने के बाद गणगौर दरवाजा, कार्तिक चौक, ढाबा रोड, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होकर सवारी पुनः मंदिर पहुंचेगी।
21 नवंबर को कार्तिक अगहन मास की चौथी और आखरी सवारी निकलेगी। जिसे शाही सवारी के रूप में निकाला जाएगा। इस दिन बाबा महाकाल राजसी वैभव के साथ भ्रमण पर निकलेंगे और सवारी का मार्ग भी बड़ा हो जाएगा। महाकाल मंदिर से शुरू होकर यह सवारी गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी से रामघाट पहुंचेगी। पूजन अर्चन के पश्चात गणगौर दरवाजा, कार्तिक चौक, ढाबा रोड से होकर यह सवारी तेलीवाड़ा, कंठाल चौराहा, सती गेट, सर्राफा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होते हुए रात में शयन आरती से पहले मंदिर पहुंचेगी।