मुम्बई : बीते दिन महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ी हलचल देखने को मिली जब एनसीपी नेता अजित पवार अपने समर्थक विधायकों के साथ एकनाथ शिंदे की सरकार में शामिल हो गए। शरद पवार के साथ बगावत करते हुए उन्होंने महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम के रूप में अपनी राजनीतिक पारी को शुरू कर दिया है। अजीत के इस कदम से चाचा शरद पवार काफी खफा नजर आ रहे हैं और उनका कहना है कि यह साफ तौर से बगावत है और अब यह बता दिया जाएगा कि एनसीपी किसकी है। वहीं बागियों के खिलाफ कार्रवाई करने का काम शुरू हो चुका है।
एनसीपी का कहना है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के 9 सदस्यों ने शरद पवार को अंधेरे में रखकर राजभवन जाकर पार्टी की नीति के खिलाफ शपथ ली है और इन सभी नेताओं के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष को अयोग्यता याचिका भेजी गई है।
9 लोगों के खिलाफ अयोग्यता याचिका
एनसीपी द्वारा केंद्रीय चुनाव आयोग को पत्र लिखकर 9 लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है। पार्टी के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि बाकी के विधायक हमारे संपर्क में है और अपने विधानसभा क्षेत्र में जाकर वह हमारे साथ वापसी करेंगे। पार्टी के महाराष्ट्र इकाई अध्यक्ष जयंत पाटिल का कहना है कि योग्यता याचिका पर जल्द से जल्द सुनवाई कर हमारे पक्ष को समझा जाना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर जल्द से जल्द इस संबंध में निर्णय लें। हमने कानूनी कदम उठा लिए हैं, जब उन्होंने शपथ ली, वह अयोग्य हो गए थे।
अजीत पवार का चौंकाने वाला कदम
2 जुलाई रविवार का दिन महाराष्ट्र के लिए सुपर संडे साबित हुआ। विधायकों की अपने आवास पर बैठक बुलाने के बाद अजित पवार शिंदे सरकार में शामिल होने के लिए राजभवन पहुंच गए। जब यह बैठक आयोजित की गई तो ऐसा लग रहा था कि महाराष्ट्र एनसीपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए इसका आयोजन किया गया है। यहां पर सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को भी देखा गया था। लेकिन नजारा उस समय बदल गया जब राजभवन पहुंचकर अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ लेकर शिंदे फडणवीस सरकार में एंट्री ले ली। उनके साथ एनसीपी के 8 और विधायकों ने भी शपथ ली है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अजीत पवार ने राज्यपाल को जो पत्र लिखा है उसमें उन्होंने 40 से ज्यादा विधायकों के समर्थन का दावा किया है। डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने के बाद आयोजित हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी उन्होंने यही कहा कि सभी विधायकों का समर्थन उनके साथ है।