विश्व में अलौकिक शक्तिपीठ मां शारदा का मंदिर मैहर, चमत्कारों से भरा दिव्य दरबार, जहां पुजारी से पहले चढ़ा जाता कोई फूल.

मां शारदा का मंदिर मैहर, त्रिकूट पर्वत की ऊंची चोटी पर भव्य और सुंदर भवन में विराजमान हैं मां शारदा मैहर वाली मां के रूप में प्रसिद्ध मां शारदा के इस पावन धाम से जुड़े चमत्कार और धार्मिक इतिहास से अभिभूत है l पौराणिक मान्यता के अनुसार सती के अंग जहां जहां पर गिरे थे, वहां-वहां पर एक शक्तिपीठ स्थापित हो गया l ऐसे ही 51 शक्तिपीठों में एक मां शारदा का पावन धाम मध्य प्रदेश के मैहर में त्रिकूट पर्वत की ऊंची चोटी पर है, जिसके बारे में मान्यता है कि यहां पर सती का हार गिरा था l माता यहां पर भव्य और सुंदर भवन में विराजमान हैं l पहाड़ की चोटी पर स्थित मैहर देवी का यह मंदिर अपने चमत्कारों के लिए देश-दुनिया में जाना जाता है l मान्यता है कि मैहर वाली मां शारदा के महज दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी दु:ख दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी हेाती हैं lपुजारी से पहले कौन करता पूजा…शारदा माता मंदिर के बारे में लोगों की मान्यता है कि इस मंदिर के पट बंद हो जाने के बाद जब पुजारी पहाड़ से नीचे चले आते हैं और वहां पर कोई भी नहीं रह जाता है तो वहां पर आज भी दो वीर योद्धा आल्हा और उदल अदृष्य होकर माता की पूजा करने के लिए आते हैं और पुजारी के पहले ही मंदिर में पूजा करके चले जाते हैं l मान्यता है कि आल्हा उदल ने ही कभी घने जंगलों वाले इस पर्वत पर मां शारदा के इस पावन धाम की न सिर्फ खोज की, बल्कि 12 साल तक लगातार तपस्या करके माता से अमरत्व का वरदान प्राप्त किया था l मान्यता यह भी है कि इन दोनों भाइयों ने माता को प्रसन्न करने के लिए भक्ति भाव से अपनी जीभ शारदा को अर्पण कर दी थी, जिसे मां शारदा ने उसी क्षण वापस कर दिया था lबुद्धि की देवी हैं मां शारदा…सनातन परंपरा में मां शारदा को विद्या, बुद्धि और कला की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजा जाता है l परीक्षा-प्रतियोगिता की तैयारी में जुटे छात्र मां शारदा का विशेष आशीर्वाद लेने के लिए बड़ी संख्या में यहां पर पहुंचते हैं l मां शारदा की सच्चे मन से पूजा करने वाले साधक को सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उसकी कभी भी अकाल मृत्यु नहीं होती l मां शारदा की कृपा से वह हमेशा तमाम प्रकार के भय, रोग आदि तमाम प्रकार की व्याधियों से भी बचा रहता है l लगभग 600 फुट की ऊंचाई वाले इस शक्तिपीठ में माता के दर्शन करने के लिए भक्तों को मंदिर की 1001 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं l हालांकि आप चाहें तो रोपवे से भी वहां पर आसानी से पहुंच सकते हैं.