MP में कारगर नहीं मामा की बुलडोजर पॉलिटिक्स, एससी-एसटी वोटर्स को साधना बड़ी चुनौती…

भोपाल : उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए बुलडोजर भले ही चुनावी शब्दावली का हिस्सा बन गए हों, लेकिन मध्य प्रदेश में मामा का बुलडोजर चुनावी फायदा देने में सक्षम नहीं है। यह बात भाजपा के स्थानीय नेताओं ने हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी एल संतोष के साथ बैठक में की है।

पार्टी की राज्य इकाई के सूत्रों ने कहा कि हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी एल संतोष ने एक बैठक ली थी। इस दौरान स्थानीय नेताओं ने कहा कि पार्टी का एससी और एसटी वर्ग के बीच जनाधार लगातार खिसकता जा रहा है। जबकि इन्हीं समुदाय के मतदाताओं ने साल 2003 से राज्य में भाजपा के 15 साल के निर्बाध शासन में मदद की।

दरअसल, यूपी में सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार द्वारा कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए बुलडोजर का उपयोग करने के लिए खूब प्रशंसा हुई। इसी तर्ज पर अब एमपी के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी बुलडोजर को कथित पत्थरबाजों के घरों और संपत्तियों को ध्वस्त करने की अनुमति दी। इस कदम ने चौहान को योगी आदित्यनाथ के “बुलडोजर बाबा” की तर्ज पर “बुलडोजर मामा” की छवि अर्जित की। 

भाजपा संगठन ने यूपी में आकलन किया कि आदित्यनाथ की “अच्छे कानून और व्यवस्था के रिकॉर्ड को बनाए  में साहसिक छवि” ने उसे सत्ता में लौटने में मदद की थी। हालांकि, मध्य प्रदेश में, जहां हिंदू आबादी का 90 प्रतिशत से अधिक है और मुस्लिम लगभग सात प्रतिशत हैं, “बुलडोजर” राजनीति काम नहीं करती है। भाजपा के एक नेता ने कहा, “राज्य में हिंदू-मुस्लिम राजनीति कोई मुद्दा नहीं रहा है, लेकिन जाति की राजनीति यहां अधिक गहराई से काम करती है।”

बता दें कि खरगोन सांप्रदायिक झड़पों के बाद अधिकारियों ने 49 मुस्लिम घरों को ध्वस्त कर दिया, जिनमें से कुछ का निर्माण पीएम आवास योजना के तहत किया गया था। इस घटना ने कई एससी / एसटी संगठनों ने एकजुट होकर राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। छोटे आदिवासी और दलित संगठनों के बीच व्यापक नाखुशी ने दोनों समुदायों को अपने पाले में वापस लाने के भाजपा के प्रयासों को बाधित कर रहा है।

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