इंदौर नगर निगम घोटाले पर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने दिखाए सख्त तेवर, कहा “किसी को नहीं बख्शेंगे”

भोपाल : 20 फर्जी बिलों से जुड़े 3.20 करोड़ के भुगतान के मामले में इंदौर नगर निगम की घटना राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के समक्ष पहुंच चुकी है। दरअसल अब सरकार ने इस मामले की जाँच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है। जानकारी के अनुसार वाणिज्यिककर विभाग के प्रमुख सचिव अमित राठौर के नेतृत्व में एक तीन सदस्यीय दल बनाया गया है, जिसमें राठौर के साथ वित्त सचिव अजीत कुमार और पीडब्ल्यूडी के मुख्य अभियंता शामिल हैं। उच्च स्तरीय जाँच दल को 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है।

मामले में मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने दिखाए तीखे तेवर:

वहीं इस मामले पर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने साफ कर दिया है कि मामले में किसी को भी नहीं बख्शा जाएगा। बातचीत करते हुए नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि ‘इसमें कोई भी दोषी होगा कितना भी प्रभावशाली व्यक्ति होगा तो उसको भी बख्शा नहीं जाएगा, क्योंकि इंदौर की जनता का टैक्स का पैसा इस प्रकार से कोई भ्रष्टाचार के माध्यम से ले जाए उसे कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाएगी।’

‘मामले में किसी को नहीं बक्शा जाएगा’ बोले मंत्री कैलाश विजयवर्गीय:

वहीं इस मामले पर आगे बोलते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने मामले में बड़े अधिकारीयों की शामिलता को लेकर भी सरकार का रुख साफ कर दिया है। दरअसल जब वीरेंद्र शर्मा ने इस विषय पर सवाल किया तो मंत्री विजयवर्गीय ने कहा कि ‘इस मामले में चाहे कोई जूनियर हो या कोई सीनियर अधिकारी कोई भी नहीं बचेगा, किसी को बख्शा नहीं जाएगा। मामले में चाहे जिसकी गलती होगी उसे सजा दिलाई जाएगी, चाहे वह भारतीय राज्य सेवा का कोई अधिकार हो या कितना भी बड़ा अधिकारी हो उसे सजा दिलाई जाएगी।’

जानिए क्या पूरा मामला?

दरअसल इंदौर नगर निगम में जल शाखा और ड्रेनेज विभाग के 20 फर्जी बिल सामने आए थे। जिनमें पांच फर्मों के नाम शामिल हैं: जहान्वी इंटरप्राइजेज, क्षितिज इंटरप्राइजेज, किंग कंस्ट्रक्शंस, नींव कंस्ट्रक्शन, और ग्रीन कंस्ट्रक्शन। दरअसल इन बिलों को बिना किसी निविदा या अनुबंध के फर्जी बनाया गया था। इसके बाद इन बिलों का 3.20 करोड़ रुपये का भुगतान भी हो गया। वहीं इस मामले की जांच के लिए एफआईआर भी दर्ज कराई गई है और ये पांच फर्मों को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया गया है। वहीं अब जांच समिति द्वारा इन पांच फर्मों के 10 वर्षों की गतिविधियों की जांच की जा रही है, जिसमें 188 प्रकरण शामिल हैं।

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