भोपाल। मध्यप्रदेश में सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों को लेकर पक्ष और विपक्ष की बयानबाजी सामने आ रही है, एक तरफ़ मध्यप्रदेश में कांग्रेस राज्य के भ्रष्ट अधिकारियों की लिस्ट बनाने जा रही है और उस लिस्ट को आने वाले दिनों में सार्वजनिक करने का दावा कर रही है, वही बीजेपी इसे कांग्रेस की गुंडागर्दी और बदमाशी करार दे रही है, बीजेपी का कहना है कि प्रदेश में सरकार चलाने वाले यह कांग्रेसी लोग जिस तरह से ब्यूरोक्रेसी पर दबाव बना रहे हैं ये दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है।
दरअसल शुक्रवार को पूर्व मंत्री और इंदौर से कांग्रेस के विधायक जीतू पटवारी ने प्रदेश के शासकीय कर्मचारियों और अधिकारियों पर सवाल उठाए थे उन्होंने कहा कि भोपाल के बैरागढ़ में रहने वाले शासकीय क्लर्क के घर से छापे में जब 85 लाख कैश मिल सकते है तो प्रदेश में उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों के पास क्या-क्या होगा, इसका अनुमान लगाया जा सकता है, ऐसे में अब कांग्रेस प्रदेश के भ्रष्ट अधिकारियों की कुंडली तैयार कर रही है और इस कुंडली को सार्वजनिक भी करेगी, जीतू पटवारी के इसी बयान पर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने पलटवार करते हुए कहा कि अधिकारी-कर्मचारी किसी सरकार के नहीं होते, मंत्री सारंग ने कहा कि, सरकार में किसे लाना है वह जनता निश्चित करती है। अधिकारी और कर्मचारी किसी सरकार के नहीं होते। वह निष्पक्षता के साथ काम करते हैं। कांग्रेसी ये भूल रही है किस देश में अधिकतर समय उसकी सरकार रही है, तो क्या यह उस समय भी होता था? अधिकारियों और कर्मचारियों से पैसा वसूलने के लिए कांग्रेस दबाव बना रही है। सारंग ने कहा कि, कांग्रेस दबाव बनाकर अधिकारी कर्मचारियों से गलत काम करवाना चाहती है।
मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि लोकतंत्र में कांग्रेस की ये शब्दावली बहुत ही खतरनाक है। कांग्रेस पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि, “मन बहलाने को गालिब ये ख्याल अच्छा है, दिल के खुश रखने को ग़ालिब ये ख्याल अच्छा है।” उन्होंने कहा ना तो कांग्रेस की सरकार आएगी ना ही कोई लिस्ट बनेगी। मध्य प्रदेश के सरकारी अधिकारी और कर्मचारी निष्पक्षता के साथ काम कर रहे हैं और करते रहेंगे। मध्यप्रदेश में 15 महीने कमलनाथ ने दबाव की राजनीति की थी और यही वजह थी कि जनता ने उन्हे कुर्सी से उतार फेंका था। कांग्रेस की यह शब्दावली उसका घमंड प्रदर्शित करती है।