हिंदू धर्म में धार्मिक स्थलों को विशेष माना गया हैं वही हमारे देश में प्रमुख सात नदियों में से एक नर्मदा और तीन प्रमुख महानदी में से एक सोन की उद्गम स्थली है अमरंकटक। इसके अलावा जो इसकी सबसे बड़ी पहचान है वह है यहां पर स्थित 51 शक्तिपीठों में से एक शोण शक्तिपीठ या फिर कहें कालमाधव शक्तिपीठ। यह मंदिर सफेद पत्थरों का बना है और इसके चारों ओर तालाब हैं मान्यता है कि यहां पर देवी सती का बायां कूल्हा गिरा था। कुछ लोगों का मानना है कि यहां पर सती का कंठ गिरा था। जिसके बाद यह स्थान अमरकंठ और उसके बाद अमरकंटक कहलाया। तो आज हम आपको इसके बारे में बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
शक्ति का यह पावन स्थल काफी सिद्ध और शुभ फल देने वाला हैं माता के दर्शन मात्र से ही भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं यही कारण है कि दूर दूर से लोग माता के इस पावन दरबार में आकर साधना करते हैं और अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने के लिए मां से प्रार्थना करते हं नवरात्रि के अवसर पर यहां पर देवी के भक्तों तांता लगा रहता हैं।
अमरकंटक मैकल पर्वत पर स्थित हैं यह मैकल पर्वत विंध्य पर्वत श्रृंखला और सतपुड़ा पर्व श्रृंखला संधि पर्वत हैं इसे पुराणकालीन पर्वत का अग माना जाता हैं इसे भौगोलिक चमत्कार ही कहा जाएगा कि एक ही स्थान से दो नदियों बिल्कुल विपरीत दिशाओं में बहती हैं इसमें से सोन नदी जहां बिहार के पास गंगा नदी से मिलती हैं वहीं नर्मदा गुजरात के भड़ोच नाम स्थान में अरब सागर में जाकर मिल जाती हैं।
आपको बता दें कि अमरकंटक स्थित इस पावन शक्तिपीठ के दर्शन करने के लिए आप रेल मार्ग और सड़क के रास्ते पहुंच सकते हैं अमरकंटक के सबसे करीब पेंड्रा रोड रेलवे स्टेशन हैं जहां से यह शक्ति स्थल 17 किमी की दूरी पर स्थित हैं वहीं सड़क मार्ग से आपको मध्यप्रदेश के अनूपपुर पहुंचना होगा फिर वहां से 48 किमी की और यात्रा करने के बाद अमरकंट में आपको माता के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होगा।