भोपाल : दरअसल इस मामले में प्रधान जिला न्यायाधीश ममता जैन ने यह आदेश पारित किया था। जानकारी के अनुसार खंडवा सत्र एवं जिला न्यायालय ने 25 मार्च 2022 को इस मामले में आखिरी फैसला दिया था। दरअसल कोर्ट ने कहा था की रेलवे ने जो लाइसेंस फीस के अलावा किराए की मांग की है वह अवैधानिक और अनुचित है। आपको बता दें की इस मामले के समय वादी द्वारा अंडर प्रोटेस्ट की राशि 36 लाख 64 हजार 128 रुपए की राशि रेलवे को जमा भी कराई गई थी।
अंडर प्रोटेस्ट की राशि वापसी की न्यायालय से मांग की:
वहीं यह प्रकरण के समाप्त हो जाने के बाद जब रेलवे से अंडर प्रोटेस्ट राशि मांगी गई तो राशि नहीं दी गई। जिसके बाद कई बार रेलवे को पत्र भी लिखा गया, उसका भी जवाब भी रेलवे द्वारा नहीं दिया गया। हालांकि 16 मार्च 2023 को खंडवा सत्र जिला न्यायालय ने एक बार फिर एक और प्रकरण दर्ज किया और एक बार फिर जमा की गई अंडर प्रोटेस्ट की राशि वापसी की न्यायालय ने मांग की। गौरतलब है कि न्यायालय द्वारा कई बार मौके दिए जाने के बाद भी रेलवे द्वारा कोई भी राशि जमा नहीं की गई। जिसके बाद आखिरकर न्यायालय ने रेलवे के खिलाफ 27 फरवरी 2024 को चल संपत्ति कुर्की के आदेश दे पारित किए।
दो ट्रेन समेत दफ्तर के टेबल, कुर्सी, एसी, पंखे हो जाते जब्त
वहीं इसको लेकर लाइसेंसी सेठी ने जानकारी दी की “यूनियन ऑफ इंडिया द्वारा जनरल मैनेजर सेंट्रल रेलवे छत्रपति शिवाजी टर्मिनल मुंबई महाराष्ट्र सहित अन्य से कर्नाटक एक्सप्रेस का इंजन, खंडवा स्टेशन मास्टर ऑफिस और इस कक्ष में लगे एक कंम्प्युटर, एसी, एक सिलिंग फेन, स्टेशन मास्टर की कुर्सी, कमरे का सोफा और तीन अलमारी के साथ ही बुकिंग ऑफिस के 8 कंप्युटर, 6 एसी व फर्नीचर, कुर्सी टेबल और अलमारी कुर्क करने की मांग की गई।”