भोपाल : मध्य प्रदेश की जबलपुर हाई कोर्ट ने कर्मचारियों के हित में एक अहम आदेश दिया है, जिसमें स्पष्ट किया है कि कार्यभारित कर्मचारी क्रमोन्नति पाने का हकदार है। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने स्वास्थ्य विभाग में सेवारत कर्मी के विरुद्ध जारी रिकवरी आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि यदि याचिकाकर्ता से कोई रिकवरी की गई है तो उसे 30 दिन के भीतर वापस की जाएग,वरना आदेश का पालन ना करने पर आठ प्रतिशत ब्याज भी देना होगा।

कार्यभारित कर्मचारी क्रमोन्नति पाने का हकदार
दरअसल, यह याचिका मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर निवासी ऋषि कुमार की ओर से दायर की गई थी, जिसमें अधिवक्ता मोहनलाल शर्मा, शिवम शर्मा व अमित स्थापक के माध्यम से हाई कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता कार्यभारित व आकस्मिक भुगतान कर्मचारी के रूप में कार्यरत था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग कार्यभारित कर्मचारी क्रमोन्नति पाने के पात्र नहीं हैं, कहकर रिकवरी निकाल दी।
रिकवरी को 30 दिन में लौटाना होगा, वरना देना होगा 8 फीसदी ब्याज
इसके साथ ही दलील दी गई कि हाई कोर्ट ने वर्ष 2009 में तेजूलाल यादव और 2014 में मानसिंह ठाकुर के मामलों में यह स्पष्ट किया है कि कार्यभारित कर्मचारी भी क्रमोन्नति पाने के हकदार हैं, उक्त न्यायदृष्टांत के आधार पर याचिकाकर्ता के विरुद्ध रिकवरी को निरस्त कर दिया। जबलपुर हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने कहा कि यदि याचिकाकर्ता से कोई रिकवरी की गई है तो उसे 30 दिन के भीतर लौटाना पड़ेगा। यदि ऐसा नहीं किया गया तो आठ प्रतिशत ब्याज भी देना होगा।