MP : सीएम शिवराज ने की युवाओं के लिए बड़ी घोषणा, इस योजना में काम सीखने के बदले मिलेंगे पैसे…

भोपाल : सीएम शिवराज सिंह चौहान ने मध्यप्रदेश के युवाओं के लिए बड़ी घोषणा की है। उन्होने कहा कि सरकार बेरोजगार युवाओं के लिए ‘मुख्यमंत्री सीखो कमाओ योजना’ शुरु कर रही है। उन्होने बताया कि कैबिनेट ने इस योजना को मंजूरी दी है और इसकी शुरुआत 7 जून से होगी। इस योजना के अंतर्गत 12वीं पास, आईटीआई, डिप्लोमा, ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन किए हुए युवा पात्र होंगे। काम सीखने के बदले प्रदेश सरकार युवाओं को स्टाइपेंड देगी।

इस योजना के तरत 700 कार्यों को स्वीकृति दी गई है जिनमें इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिकल, सिविल, मैनेजमेंट, होटल मैनेजमेंट, टूरिज्म ट्रेवल, अस्पताल, रेलवे, आईटीआई, सॉफ्टवेयर, बैंकिग, बीमा, लेखा, चार्टेड अकाउंटेंट, अन्य वित्तीय सेवाओं सहित कई और काम सिखाए जाएंगे। और ये काम सीखने के दौरान युवाओं को स्टाइपेंड दिया जाएगा। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि चिड़िया अपने बच्चों को घोंसला नहीं देती, पंख देती है ताकि वो प्रगति और विकास की लंबी उड़ान उड़ सके। उन्होने कहा कि वो युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देना बेमानी है, इसकी बजाय उन्हें काम सिखाया जाए और उसके बदले में पैसा दें ताकि उनके लिए स्थायी रोजगार की व्यवस्था हो जाए।

योजना के तहत 12वीं पास युवाओं को 8000 रूपये महीना. आईटीआई किए युवाओं के 8500 रूपया महीना, डिप्लोमा धारी को 9000 रूपया और इससे अधिक शिक्षा प्राप्त युवाओं को 10,000 रूपये महीना स्टाइपेंड दिया जाएगा। अभी इसके लिए पोर्टल का काम जारी है। 7 जून 2023 से जिन प्रतिष्ठानों में बच्चों को काम सिखाया जाएगा, उनका पंजीयन शुरु होगा। 15 जून से युवाओं का पंजीयन और रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। 15 जुलाई से उनका प्लेसमेंट शुरु होगा और 31 जुलाई से जिन प्रतिष्ठानों में युवा काम करेंगे उनके और प्रदेश सरकार के बीच ऑनलाइन अनुबंध प्रारंभ होगा। 1 अगस्त 2023 से युवा इन प्रतिष्ठानों में काम करना प्रारंभ कर देंगे और एक माह होते ही उनके बैंक में डीवीडी के माध्यम से स्टाइपेंड की राशि आनी शुरु हो जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि काम सीखने के बाद युवा या तो उन्हीं प्रतिष्ठानों में रोजगार पा जाएंगे या फिर अपना उद्यम खड़ा करेंगे। इन काम सीखने वाले बच्चों को स्वरोजगार के क्षेत्र में भी प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होने कहा कि ये एक क्रांतिकारी योजना है जो युवाओं को बैसाखी पर चलना नहीं सिखाएगी बल्कि अपने पैरों पर खड़ा करने में मदद करेगी और इस सीखने की अवधि के दौरान उन्हें आर्थिक सहायता मिलती रहेगी।

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