भोपाल : आज भोपाल गौरव दिवस है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल गेट पर ध्वजारोहण किया एवं सफाई मित्रों का सम्मान भी किया। उन्होने घोषणा की कि अगले साल से 1 जून को शासकीय अवकाश रहेगा। बता दें कि भारत की आजादी के करीब दो साल बाद भोपाल रियासत का भारत में 1 जून 1949 विलीनीकरण हुआ था और इसीलिए ये दिन इस शहर के गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है।
भोपाल का इतिहास बहुत पुराना है। इसकी स्थापना परमार राजा भोज ने 1000-1055 ईस्वी के दरमियान की थी। उस समय इस शहर का नाम ‘भोजपाल’ था। परमार राजवंश के अस्त होने के बाद इस शहर को कई बार लूटा गया। इसके बाद 1708-1740 के मध्य अफगान सिपाही दोस्त मोहम्मद खान ने भोपाल की स्थापना की। 1819 से 1926 ईस्वी तक भोपाल को चार बेगमों ने संभाला। इस तरह 107 साल इस रियासत पर बेगमों का शासन रहा। अंतिम मुस्लिम महिला शासक सुलतान जहां बेगम के बाद उनके बेटे हमीदुल्लाह खान ने 1949 विलीनीकरण तक यहां शासन किया। 1 जून को भोपाल का विलीनीकरण हुआ था इसीलिए इस दिन को भोपाल गौरव दिवस के रूप में मनाया जाता है। ये दिन इस शहर की महत्वपूर्ण घटनाओं, सांस्कृतिक विरासत और प्रमुख योगदानों की याद करने का है।
भोपाल एक बेहद खूबसूरत शहर है। पहाड़ियों पर बसा ये शहर अपने तालाबों के लिए भी मशहूर है। कहावत भी है ‘तालों में ताल भोपाल ताल बाकि सब तयैला।’ इसी से साथ पुराने समय में इस शहर को ‘ज़र्दा, पर्दा और गर्दा’ के लिए भी जाना जाता था। ये शहर हरितिमा से आच्छादित है और इसकी बनावट इसे और आकर्षक बनाती है। कहीं श्यामला पहाड़ियां हैं तो उसकी गोद में है बता तालाब। वहीं वन विहार, मानव संग्रहालय, भारत भवन, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय,ताज-उल-मस्जिद, जामा मस्जिद, गौहर महल, मनु भानु की टेकरी, गुफा मंदिर, शौकत महल, क्षेत्रीय विज्ञान केंद्र, मछली मछलीघर, केरवा बांध आदि ऐसे कई स्थान हैं जो इस शहर की शान है।