जबलपुर : भारत के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा इलेक्टोरल बांड का डेटा केंद्रीय चुनाव आयोग को सौंपने और चुनाव आयोग द्वारा अपनी वेबसाइट पर इलेक्टोरल बांड का डेटा सार्वजनिक किये जाने के बाद राजनीति गर्म हो गई है। इलेक्टोरल बांड की सूची में देश की ऐसी नामी गिरामी कम्पनीयों ने बांड ख़रीदा है। जिनका वार्षिक टर्न ओवर बेहद कम था। टर्न ओवर कम होने के बाद भी इन फर्मो ने हैसियत से ज्यादा इलेक्टोरल बांड ख़रीदे है। कांग्रेस पार्टी अब इन मुद्दों को चुनावी मुद्दा बनाकर सड़कों पर उतरी है।
इलेक्टोरल बॉन्ड को कांग्रेस ने बनाया मुद्दा
जबलपुर में युवक कांग्रेस द्वारा मालवीय चौक पर इलेक्टोरल बांड को लेकर विरोध प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि 14 फरवरी 2019 को पुलवामा के ठीक दो महीने बाद अप्रैल 2019 में पाकिस्तान की विद्युत कम्पनी द्वारा भी इलेक्टोरल बांड ख़रीदे जाते है। कार्यकर्ताओं का ये भी कहना है कि आखिर ऐसी क्या वजह थी। केंद्र में बैठी भारतीय जनता पार्टी की सरकार को पाकिस्तान की इस कम्पनी को इलेक्टोरल बांड बेचने पड़े।
सीरम इंस्टीट्यूट पर उठाए सवाल
कार्यकर्ताओं ने सीरम इंस्टीट्यूट पर भी सवाल उठाये है, कि कोविड़ के समय जब देश भीषण महामारी की चपेट था। और सीरम इंस्टिट्यूट की दवा बना रहा था। और भारी भरकम राशि से इलेक्टोरल बांड भी खरीद था। इसी प्रकर देश की ऐसी कई कम्पनियां है। जिन पर ईडी की रेड पड़ी और उन्होंने इलेक्टोरल बांड खरीद कर अपने आप को बचा लिया।