भोपाल : स्टाफ नर्स भर्ती परीक्षा (एनएचएम) पेपर लीक मामले की तुलना व्यापमं महाघोटाले से करते हुए कांग्रेस ने 48 घंटे बीत जाने के बाद भी इस मामले के मास्टर माइंड का सुराग नहीं मिलने पर आश्चर्य व्यक्त किया है। मध्य प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने स्वास्थ्य विभाग से संदर्भित आयुष्मान योजना में हुये घोटाले के बाद इसे एक बड़ा घोटाला बताते हुए कहा है कि इससे प्रतीत हो रहा है कि सरकार, स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा मंत्रालय की इस विषय में भूमिका संदिग्ध है और ‘‘सुलेमानी ताकत’’ के सामने इन तीनों ने आत्मसमर्पण कर रखा है। उन्होने इस पेपर लीक सहित अन्य घोटालों की जांच उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश की अध्यक्षता में किए जाने की मांग की है।
भाजपा सरकार पर आरोप
के.के. मिश्रा ने मध्य प्रदेश सहित विभिन्न राज्यों की भाजपा सरकारों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि देश के राजनीतिक इतिहास में शायद भाजपा शासित राज्यों में जितनी बार परीक्षा पत्र लीक हुए हैं, वह देश के इतिहास में कभी नहीं हुये होंगे! उन्होने कहा कि भाजपा शासित गुजरात में लगभग 22, उत्तर प्रदेश में लगभग 10 मर्तबा परीक्षा पत्र लीक हुए हैं। जो इस बात को साफ तौर पर प्रदर्शित कर रहा है कि एक बड़ा संगठित गिरोह देशभर में इसतरह के घृणित कार्य कर रहा है, जिसकी मजबूत जड़ें देश-प्रदेश के बेरोजगारों के साथ निरंतर प्रामाणिक धोखे को अंजाम दे रही हैं।
उन्होने चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्रालय से यह भी जानना चाहा कि प्रदेश के बेरोजगारों को रोजगार दिलाने के नाम पर यदि सेम्स जैसी प्रायवेट कंपनियों को ठेका ही देना है तो व्यापमं, कर्मचारी चयन बोर्ड जैसी संस्थाओं की जरूरत ही क्यों हैं और यदि निजी कंपनियों से ही इस तरह के महत्वपूर्ण कार्य करवाना ही है तो इससे जुड़े मंत्रालयों को भंग कर देना चाहिए? यही नहीं यदि राज्य सरकार ने सारे कार्य आउटसोर्स और निजी कंपनियों से ही करवाने का अघोषित निर्णय ले लिया है तो समूची सरकार को भी निजी और आउटसोर्स कंपनियों को ठेके पर दे दिया जाये? उन्होने कहा कि सरकार को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि एनएचएम जैसी महत्वपूर्ण परीक्षाओं का ठेका सेम्स जैसी निजी कंपनी को देने में किस राजनेता और किस प्रभावी अधिकारी की भूमिका है, इनके बीच दलाली का जिम्मा भी किसका था, वह नाम भी सार्वजनिक होने चाहिए।
उच्चस्तरीय जांच की मांग
उन्होने भ्रष्टाचार से जुड़ा एक और गंभीर मामला उठाते हुए कहा कि स्वास्थ्य विभाग की बेवसाइट को एक मंच पर लाने के लिए जो काम पांच करोड़ रूपये में हो जाना था, उसका ठेका 22 करोड़ रूपयों में अपनी एक चहेती प्रायवेट लिमिटेड को क्यों और किसने दिया, क्या यह ईमानदारीपूर्ण सौदा है? यही नहीं संविदा नर्सिंग स्टाफ, फार्मासिस्ट की जो परीक्षाएं 3-4 अगस्त, 2022 को संपन्न हुई, उनका परीक्षा परिणाम आज तक घोषित क्यों नहीं हुआ ? केके मिश्रा ने मांग की है कि एनएचएम पेपर लीक मामले सहित आयुष्मान योजना में हुये करोड़ों रूपयों के भ्रष्टाचार की जांच उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश की अध्यक्षता में हो, दोषियों के खिलाफ अविलंब एवं दिखाई देने वाली पारदर्शी कार्रवाई हो और समस्त परीक्षार्थियों का जो भी खर्च परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने में हुआ हो, वह राशि उनकी फीस सहित उन्हें वापस लौटाई जाए?