देवास : मालवा क्षेत्र में भाजपा के दिग्गज नेता व पूर्व सीएम स्व.कैलाश जोशी के राजनीतिक वारिस दीपक जोशी की भाजपा से चल रही अनबन के प्रमुख कारणों में से भाजपा के पितृ पुरुष स्व.कैलाश जोशी की उपेक्षा भी शामिल है। बता दें कि सिद्धांतो की राजनीति करने वाले कैलाश जोशी को राजनीति का संत कहा जाता था। आदिवासी बाहुल्य बागली विधानसभा से जोशी 1962 से 1998 तक लगातार 8 बार विधायक निर्वाचित हुए। जोशी ने अपने अंतिम दिनों में अपनी कर्मभूमि बागली को जिला बनाने की इच्छा जाहिर की थी।
जोशी खुद सीएम शिवराज से जिले के संदर्भ में करीब 4 बार मिले थे, परंतु स्व.कैलाश जोशी के जीवित रहते उनकी इच्छा पूरी नही हो सकी। जोशी के निधन के बाद बागली को जिला बनाने की कमान दीपक जोशी ने अपने हाथो मे ली। 7 बार आश्वाशन देने के बावजूद बागली जिला नही बन सका। 14 जुलाई 2021 स्व.कैलाश जोशी की मूर्ति अनावरण समारोह में दीपक जोशी द्वारा पिता की अंतिम इच्छा पूरी करने की अपील के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने रामायण की चौपाई के साथ प्राण जाय पर वचन न जाय दोहरा कर बागली को जिला बनाने की घोषणा की थी। परंतु घोषणा के 2 वर्ष बाद भी जिला अस्तित्व में नही आ सका। क्षेत्र की जनता ने लगातार अभियान चलाए, दीपक जोशी ने बागली को जिला बनाने के सभी अभियानों में प्रमुख भूमिका निभाई, परंतु जिला न बनने से क्षेत्र भर में जोशी की खूब किरकिरी हुई।
कैलाश जी भी हुए थे नाराज
2018 में बागली को जिला बनाने के समर्थन में हजारों की संख्या में क्षेत्र के लोगो स्व.कैलाश जोशी के शासकीय आवास बी 74 बंगले पर एकत्रित हुए थे। तब जोशी ने अपनी अस्वस्थता के कारण दीपक जोशी को ही प्रतिनिधि मंडल के साथ चर्चा के लिए भेजा था, तब सीएम ने आश्वस्त किया था की अभी चुनावी समय में संभव नहीं है, परंतु प्रदेश में जब भी नवीन जिला बनेगा तो बागली ही बनेगा। स्व.जोशी को मिले आश्वासन के बाद क्षेत्रवासी उम्मीद के साथ लौट आए, परंतु 8 दिनों के बाद ही सीएम शिवराज ने निवाड़ी को जिला बनाने की घोषणा कर दी।
इस घटना से जोशी खासे नाराज हुए। विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो वे पत्रकार वार्ता कर नाराजगी प्रकट करने की तैयारी में थे, परंतु सीएम शिवराज ने मुलाकात कर 1 सप्ताह के भीतर ही बागली को जिला बनाने का वादा कर कार्यक्रम भी तय कर दिया था, परंतु किसी कारणवश कार्यक्रम नही हो सका और फिर विधानसभा चुनावों की आचार संहिता लग चुकी थी, व भाजपा सत्ता से बाहर हो गई। 2019 में जोशी का निधन हो गया, और फिर जोशी की अंतिम इच्छा भी अधूरी रह गई।