MP : हिरण बैगा नक्सली था या नहीं, इस मुद्दे पर खुद के जवाब से मुसीबत में सरकार! कांग्रेस ने किया सदन से वाकआउट…

भोपाल : मंडला में हिरण बैगा की पुलिस मुठभेड़ में मौत मध्य प्रदेश सरकार के लिए गले की हड्डी बन गई है। दरअसल, इस मौत को लेकर विपक्ष सरकार पर आदिवासी की हत्या का आरोप लगा रहा है। वहीं, सरकार का कहना है कि जांच के बाद सब साफ हो जाएगा। हालांकि, सरकार ने विधानसभा में कहा है कि वह यानि हिरण बैगा नक्सली समर्थक था जबकि आईजी उसे नक्सली बता चुके हैं।

विक्रांत भूरिया ने उठाया सवाल

मंगलवार को मध्य प्रदेश विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के माध्यम से मंडला जिले में हिरण बैगा नामक आदिवासी की पुलिस मुठभेड़ में हुई मौत का मामला उठा। कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि सरकार आदिवासियों की हत्या कर रही है। उन्हें जल, जंगल, जमीन से बेदखल कर रही है। अपने साथ मात्र एक कुल्हाड़ी और थोड़ा सामान लेकर जाने वाले हिरण बैगा को पुलिस मुठभेड़ में नक्सली बताकर मार दिया गया। विक्रांत ने सरकार पर आरोप लगाते हुए इस पूरे मामले की रिटायर्ड जज के माध्यम से जांच करने की मांग की।

https://twitter.com/VikrantBhuria/status/1901632703310839848

मंत्री नरेंद्र पटेल का जवाब

इसके जवाब में मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने कहा कि वास्तव में हिरण बैगा नक्सलियों का हेल्पर था और उन्हें सूचनाओं पहुंचा कर सतर्क करता था। पुलिस ने जब आमने-सामने की मुठभेड़ में उसे ललकारा तो सामने से फायरिंग हुई और जिसमें हिरण बैगा मारा गया।

विधायक ने सरकार को घेरा

इसके बाद कांग्रेस विधायक नारायण सिंह पट्टा ने भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए बैगा आदिवासी की मौत को पुलिस की हत्या बताया और कहा कि वह बिल्कुल निर्दोष था। विधायक ओमकार सिंह मरकाम ने तमाम सवाल उठाते हुए प्रश्नों की झड़ी लगा दी और मृतक हिरण बैगा के परिजनों के लिए सरकारी नौकरी सहित 2 करोड रुपए की राशि की मांग की।

इस पर मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने कहा कि हिरण बैगा के परिजनों के लिए मुख्यमंत्री के द्वारा 10 लाख रुपए दिए जा चुके हैं और यदि जांच में वह नक्सली साबित नहीं हुआ तो उसके परिवार को नौकरी और एक करोड रुपए, दोनों दिए जाएंगे। पूर्व गृहमंत्री और कांग्रेस विधायक बाला बच्चन ने भी मृतक हिरण बैगा के परिजनों के लिए सरकारी नौकरी और एक करोड रुपए की राशि की मांग की।

https://twitter.com/i/status/1901910849926971667

उमंग सिंघार ने घेरा

इसके बाद नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सवाल करते हुए कहा कि यदि हिरण बैगा नक्सली था तो फिर सरकार ने 10 लाख रुपए की सहायता राशि क्यों दी और यदि वह नक्सली नहीं है तो एक करोड रुपए और सरकारी नौकरी देने में क्या परेशानी है। सरकार के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने इस मुद्दे पर सदन से वाकआउट किया।

मानवाधिकार आयोग के दखल के बाद जांच के निर्देश

इस पूरे मामले में जिस तरह से राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के निर्देश पर जांच के आदेश दिए गए हैं। ऐसा लगता है कि मामला जल्द सुलझने वाला नहीं और राष्ट्रीय स्तर पर भी यह सुर्खियों में रहेगा।

Leave a Reply