ग्वालियर : मध्य प्रदेश के करीब 15 हजार सरकारी डॉक्टर्स आज से हड़ताल पर चले गए हैं और जैसी की सम्भावना जताई जा रही थी वैसा ही हुआ, स्वास्थ्य सेवाएं बुरी तरह चरमरा गई हैं। ग्वालियर अंचल के सबसे बड़े अस्पताल समूह जयारोग्य अस्पताल समूह के अस्पतालों सहित जिला अस्पताल मुरार के अस्पतालों में हालात ख़राब हो रहे हैं , मरीजों को जबरन डिस्चार्ज किया जा रहा है, ऑपरेशन टाल दिए गए हैं, हालात ये हैं कि अपने मृतक परिजन के पोस्टमार्टम के लिए परिजनों को डॉक्टर्स के हाथ पैर जोड़ने पड़ रहे हैं।
13 मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों के डॉक्टर्स हड़ताल पर
DACP सहित अपनी अन्य मांगों को लेकर प्रदेश के 13 सरकारी मेडिकल कॉलेजों से सम्बद्ध अस्पतालों के डॉक्टर्स आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। हड़ताल के कारण प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं चरमराने लगी हैं, ग्वालियर में भी मरीज परेशान हो रहे हैं। ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल, कमला राजा अस्पताल सहित JAH के अन्य अस्पताल , जिला अस्पताल मुरार के अस्पतालों की ओपीडी में आज मरीज भटकते देखे गए।
मरीजों की किया जा रहा जबरन डिस्चार्ज
अस्पतालों में मरीजों को जबरन डिस्चार्ज किया जा रहा है, वे रोते हुए अपनी परेशानी मीडिया को सुना रहे हैं, उधर जिन मरीजों के परिजनों की मृत्यु हो गई है और उनके शव पोस्ट मार्टम के लिए रखे हैं वे डॉक्टर्स के पैरों में गिरकर हाथ जोड़ते हुए मिन्नतें करते दिखाई दिए लेकिन हड़ताल पर गए डॉक्टर्स को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा।
इन हालात को देखते हुए ये कहने में कोई गुरेज नहीं है कि जिला प्रशासन के दावे खोखले साबित हुए, हालाँकि जिला प्रशासन ने आयुष चिकित्सकों की तैनाती की है लेकिन ये नाकाफी है क्योंकि जयारोग्य अस्पताल समूह के करीब 350 डॉक्टर्स और जिला अस्पताल के करीब 150 डॉक्टर्स हड़ताल पर हैं उनकी तुलना में 40 आयुष डॉक्टर्स तैनात किये गए है जो मरीजों को सिर्फ रेफर कर प्राइवेट अस्पतालों में भेज रहे हैं।
ये है हड़ताल पर जाने की वजह
आपको बता दें कि बीते दिनों स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान और डॉक्टर्स के बीच करीब 2 घंटे तक बातचीत हुई लेकिन प्रमोशन की अवधि को लेकर बात नहीं बन सकी थी, चिकित्सकों के संघ के मुताबिक डीएसीपी को लेकर जो पिछली निर्णायक बैठक में आम सहमति बनी थी उसे बैठक में मानने से मना कर दिया है, ऐसा करना शासकीय डॉक्टरों के साथ धोखा देने के बराबर है, जिसके चलते अब प्रदेश के डॉक्टरों ने आंदोलन की राह पकड़ ली है। देखना होगा कि हालात बहुत ख़राब होने से पहले सरकार डॉक्टर्स को कैसे मनाती है।