भोपाल : कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने नर्मदा नदी में प्रदूषण को दूर करने और उसके संरक्षण को लेकर सीएम मोहन यादव से सवाल किए हैं। उन्होंने कहा कि नर्मदा नदी प्रदेश की जीवनरेखा है और ये पिछले कुछ दशकों से संकट का सामना कर रही है। इसे लेकर उन्होंने मुख्यमंत्री से कारगर कदम उठाने की मांग की है।
‘जीतू पटवारी ने सरकार को घेरा’
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने एक्स पर लिखा है कि ‘मुख्यमंत्री जी..वैसे मुझे यह दोहराने की आवश्यकता नहीं है कि नर्मदा नदी मध्यप्रदेश की जीवनरेखा है, लेकिन इसलिए बताना पड़ रहा है ताकि आप नर्मदा जी को बचाने के लिए गंभीर हो सकें। मध्यप्रदेश सहित अनेक राज्यों के लोगों के लिए जल स्रोत और सांस्कृतिक धरोहर मां नर्मदा पिछले कुछ दशकों से संकटों का सामना कर रही है। प्रदूषण, अवैध रेत खनन, जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित औद्योगिकीकरण जैसे कारकों ने नर्मदा की धारा को खतरे में डाल दिया है। इसे बचाने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। पिछले दिनों जबलपुर प्रवास के दौरान मेरी कुछ विशेषज्ञों से विस्तृत चर्चा हुई थी। समस्या की बजाय मैं इस बार समाधान की तरफ आपका ध्यान आकृष्ट करना चाहता हूं।’
नर्मदा नदी में प्रदूषण का मुद्दा
‘नर्मदा नदी में प्रदूषण का प्रमुख कारण अपशिष्ट जल और औद्योगिक कचरा है। इसे रोकने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं। अपशिष्ट जल शोधन संयंत्रों की स्थापना..सभी नगरपालिकाओं और औद्योगिक क्षेत्रों में अपशिष्ट जल शोधन संयंत्र स्थापित किए जाएं, ताकि नदी में सीधे बिना शोधन के अपशिष्ट जल न डाला जा सके। सख्त कानून और दंड : प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों और व्यक्तियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। इसके लिए कठोर दंड और जुर्माने का प्रावधान किया जाए। जागरूकता अभियान..जनता को नदी प्रदूषण के दुष्प्रभावों के प्रति जागरूक किया जाए और उन्हें स्वच्छता के महत्व के बारे में शिक्षित किया जाए। अवैध रेत खनन पर रोक लगे..रेत खनन नर्मदा नदी के इकोसिस्टम को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं। नियमित निगरानी..अवैध रेत खनन की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए एक विशेष निगरानी दल का गठन किया जाए। कठोर कार्रवाई..अवैध खनन करने वालों पर कठोर कार्रवाई की जाए और उनके उपकरण जब्त किए जाएं। रेत खनन के वैकल्पिक साधन : निर्माण कार्यों के लिए रेत के वैकल्पिक साधनों की खोज और उपयोग को प्रोत्साहित किया जाए।’
सरकार को दिए सुझाव
‘जलवायु परिवर्तन और जल संरक्षण..जलवायु परिवर्तन का प्रभाव नर्मदा जी पर भी पड़ रहा है, जिससे जलस्तर में कमी आ रही है। इसे रोकने के लिए निम्न उपाय हो सकते हैं। जल संरक्षण तकनीकों का उपयोग..कृषि में ड्रिप इरिगेशन और अन्य जल संरक्षण तकनीकों का उपयोग बढ़ावा दिया जाए। पौधरोपण अभियान..नदी के किनारे पौधरोपण किया जाए, ताकि मिट्टी का कटाव रोका जा सके और जल वाष्पीकरण को कम किया जा सके। जल संचयन..वर्षा जल संचयन की तकनीकों को अपनाया जाए, ताकि भूजल स्तर को बनाए रखा जा सके। सामुदायिक भागीदारी..नदी संरक्षण में सामुदायिक भागीदारी बेहद महत्वपूर्ण है। इसके लिए कुछ उपाय प्राथमिकता से किए ही जाने चाहिए।’
‘स्थानीय समुदायों को शामिल करना..स्थानीय समुदायों को नर्मदा संरक्षण के प्रयासों में शामिल किया जाए। उन्हें प्रोत्साहित भी किया जाए कि वे नदी की स्वच्छता और संरक्षण में सक्रिय भागीदारी करें। स्वयंसेवी संगठनों का सहयोग..स्वयंसेवी संगठनों को नदी संरक्षण अभियानों में शामिल किया जाए, ताकि बड़े स्तर पर जागरूकता और कार्यान्वयन संभव हो सके। शैक्षिक कार्यक्रम..स्कूलों और कॉलेजों में नर्मदा नदी के महत्व और इसके संरक्षण के उपायों पर विशेष शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएं। नीति और योजना..सरकारी नीतियों और योजनाओं का प्रभावी क्रियान्वयन नर्मदा जी के संरक्षण में अहम भूमिका निभा सकता है। राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना..नर्मदा नदी के लिए एक विशेष राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना बनाई जाए, जिसमें सभी संबंधित राज्य और केंद्र सरकार की संस्थाओं की भागीदारी हो।’
‘अंतरराज्यीय सहयोग..नर्मदा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में आने वाले सभी राज्यों के बीच तालमेल और सहयोग बढ़ाया जाए, ताकि नदी संरक्षण के उपाय प्रभावी रूप से लागू हो सकें। वित्तीय सहायता..नदी संरक्षण के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराए जाएं और इनका सही उपयोग सुनिश्चित किया जाए। वैज्ञानिक अनुसंधान..नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान और नवीन तकनीकों का उपयोग अत्यंत आवश्यक है। जल गुणवत्ता निगरानी..नियमित रूप से नदी के जल की गुणवत्ता की जांच की जाए और इसके आधार पर आवश्यक कदम उठाए जाएं। पुनर्जीवन परियोजनाएं ..वैज्ञानिक अध्ययन के आधार पर नदी पुनर्जीवन परियोजनाओं को लागू किया जाए, जिससे नदी का इकोसिस्टम पुनर्जीवित हो सके। नवीनतम प्रौद्योगिकी का उपयोग..नदी संरक्षण में नवीनतम प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाए, जैसे ड्रोन सर्विलांस, GIS मैपिंग आदि।’
‘नर्मदा नदी का संरक्षण हो’
‘मोहन भैया, हो सकता है सरकारी स्वर बोलने वालों को ऐसे सुझाव औपचारिक लगें, लेकिन सरकार गंभीर नहीं है, इसलिए बार-बार आवाज उठाने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। मेरा मानना है कि नर्मदा जी को संकट से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास की आवश्यकता है, जिसमें सरकार, स्थानीय समुदाय, स्वयंसेवी संगठन और वैज्ञानिक संस्थान सभी की भागीदारी हो। इन प्रयासों के माध्यम से ही हम नर्मदा नदी की स्वच्छता और संरक्षण सुनिश्चित कर सकते हैं, जिससे यह नदी आने वाली पीढ़ियों के लिए जीवनदायिनी बनी रहे। सकारात्मक विपक्ष के दृष्टिकोण से कांग्रेस ऐसे किसी भी अभियान में सरकार का साथ देने के लिए पूरी तरह से तैयार है, क्योंकि व्यक्तिगत रूप से मेरा मानना है कि हमारे छोटे-छोटे कदम मिलकर बड़ा बदलाव ला सकते हैं, बशर्ते सभी प्रतिबद्ध हों और निरंतर प्रयास करते रहें।’