बालाघाट : मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में नामांकन पत्र जमा होने के बाद 31 अक्टूबर को समीक्षा व जांच प्रक्रिया में बुधवार को बालाघाट जिले की सभी छह विधानसभाओं से अब तक 14 नामांकन निरस्त हुए हैं। इनमें बालाघाट विधानसभा से कैबिनेट मंत्री गौरीशंकर बिसेन की पुत्री व भाजपा जिला महामंत्री मौसम हरिनखेड़े और लांजी के पूर्व विधायक किशोर समरीते बड़े नाम हैं।
पूर्व विधायक किशोर समरिते के नामांकन पर कांग्रेस नेता और जनपद उपाध्यक्ष अजय अवसरे ने आपत्ति लेते हुए इसके लोक प्रतिनिधित्व की धरा 8 अपराध 3 में निर्हित निरहर्ता के प्रावधानों के तहत अपात्र होने पर नामांकन निरस्त किये जाने का आवेदन रिर्टर्निंग अधिकारी को दिया था। जिसमें संयुक्त क्रांति पार्टी के प्रत्याशी किशोर समरिते से जवाब मांगा गया था, जिस जवाब की समीक्षा में जवाब संतोषजनक नहीं होने पर रिर्टनिंग अधिकारी ने प्रत्याशी किशोर समरिते का नामांकन निरस्त कर दिया है।
इस मामले में आपत्तिकर्ता कांग्रेस नेता एवं जनपद उपाध्यक्ष अजय अवसरे ने बताया कि प्रत्याशी किशोर समरिते के चुनावी मैदान में होने से कांग्रेस का कोई फर्क नहीं पड़ रहा था लेकिन शिकायतों के माध्यम से भयाक्रांत करने वाले किशोर समरिते को भी यह अहसास कराना था कि उनकी भी शिकायत हो सकती है और जिस तरह से उनका नामांकन निरस्त किया गया है, उससे कहीं ना कहीं किशोर समरिते द्वारा भय, पैदा करने की राजनीति खत्म हुई है।
इस मामले में रिर्टर्निंग अधिकारी ने बताया कि नाम निर्देशन पत्र की संवीक्षा में अजय अवसरे द्वारा आक्षेप पत्र प्रस्तुत किया गया था। जिसमें अभ्यार्थी किशोर द्वारा उत्तर प्रस्तुत किया गया। जिसमें पाया गया कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) में स्पष्ट है कि कोई भी अभ्यार्थी जिसे कम से कम 02 वर्ष की सजा एवं उससे अधिक अवधि से दंडित किया गया है, तो विधानसभा और संसदीय निर्वाचन के लिए अयोग्य होगा, यदि उसके द्वारा यह सजा भुगत ली गइ तो रिहाई की तारीख से आगामी 06 वर्ष तक के लिए नियंत्रता बनी रहेगी। मामले में साफ था कि अभ्यर्थी किशोर समरिते की सजा माफ नहीं की गई है केवल सजा के निष्पादन पर रोक है। जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(3) के अनुसार चुनाव लड़ने की अयोग्य हैं। जिस आधार पर रिर्टर्निंग अधिकारी ने नाम निर्देशन पत्र को विधि सम्मत ना पाते हुए अस्वीकृत कर दिया।
इस मामले में पूर्व विधायक एवं अभ्यर्थी किशोर समरिते ने कहा कि उन्हें 22 दिसंबर 2009 को 6 साल की सजा हुई थी। जिसकी अपील, अभी लंबित है। चूंकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर भी माननीय न्यायालय का निर्णय आया है लेकिन उसमें अभी स्टे है। जबकि सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग है कि पांच साल की सजा का पीरियड यदि पूरा हो गया है तो उसे अयोग्य करने का कोई नियम नहीं है। मुझे लगभग 14 साल हो गया है और यदि निरर्हयता की सूची में नाम होता तो मैं नामांकन ही दाखिल क्यों करता। जब ऐसा ही था तो मुझे 2019 में लोकसभा का चुनाव क्यों लड़ने दिया गया। उस वक्त संज्ञान क्यों नहीं लिया गया। समरिते ने कहा कि इस मामले में वह इलेक्शन कमेटी से बात करेंगे। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है और यह मेरे अधिकारों के खिलाफ है। इसमें वह इलेक्शन कमीशन पर दावा कर कंपलसेंशन की मांग करेंगे और लोकसभा में पूरी ताकत के साथ इसे रखा जाएगा।