MP : अपर परिवहन आयुक्त जोगा के पत्र से गरमाई सियासत, कांग्रेस प्रवक्ता के के मिश्रा ने माना आभार, उमंग सिंघार बोले ये पत्र भ्रष्टाचार की स्वीकारोक्ति…

भोपाल : अवैध वसूली के मामले में विपक्ष और ट्रांसपोर्ट एसोसियेशान के निशाने पर रहने वाले मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग की एक चिट्ठी ने विपक्ष को एक बार फिर हमलावर होने का मौका दे दिया है, अपर परिवहन आयुक्त उमेश जोगा द्वारा जारी इस पत्र के बाद प्रदेश की सियासत गरमा गई है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि ये पत्र भ्रष्टाचार की स्वीकारोक्ति है, जबकि प्रवक्ता केके मिश्रा ने तंज कसते हुए उनका आभार जताया है।

मध्य प्रदेश परिवहन विभाग के अपर परिवहन आयुक्त सीनियर IPS उमेश जोगा ने कल 26 जून को एक पत्र जारी किया जिसमें उन्होंने विभागीय अफसरों को निर्देश दिए कि परिवहन चैक पोस्ट पर प्राइवेट व्यक्तियों की मौजूदगी की शिकायतें मिल रही हैं  ऐसा कोई भी प्राइवेट व्यक्ति वहां नहीं होना चाहिए। अधिकारी आकस्मिक निरीक्षण करें और विभाग को रिपोर्ट करें, यदि फिर भी वरिष्ठ अधिकारियों के निरीक्षण चौकियों पर प्राइवेट व्यक्ति मिले तो चौकी प्रभारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

इस पत्र के सामने आते ही ट्रांसपोर्ट एसोसियेशन ने कहा कि उमेश जोगा के पत्र से ये स्पष्ट हो गया है कि परिवहन चौकियों पर भ्रष्टाचार हो रहा है, अधिकारी पत्र जारी कर सिर्फ खानापूर्ति कर रहे हैं जबकि अवैध वसूली रोकना इन्हीं  अधिकारियों का काम है, एसोसियेशन के अध्यक्ष सी एल मुकाती ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव को संबोधित करते हुए  ये तक कहा कि कहीं ये पत्र सरकार को बदनाम करने के लिए तो नहीं है?

उमंग सिंघार का सवाल – ये चंदा किसके लिए हो रहा है ?

अब इस मामले में कांग्रेस भी मुखर हो गई है, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि सरकार के अधिकारी इस तरह का आदेश जारी करें तो स्पष्ट है चैक पोस्ट पर भ्रष्टाचार हो रहा है, उन्होंने सवाल किया कि आखिर ये चंदा किसके लिए हो रहा है? किसके लिए अवैध वसूली हो रही है ये सरकार बताये।

केके मिश्रा ने जताया अपर परिवहन आयुक्त का आभार  

कांग्रेस प्रवक्ता एवं पीसीसी अध्यक्ष के सलाहकार केके मिश्रा ने X पर लिखा –  आभार, अपर परिवहन आयुक्त उमेश जोगा जी (आईपीएस), आपने यह तो स्वीकार किया कि प्रदेश की परिवहन चौकियों पर व्यापक भ्रष्टाचार है  इस सच्चाई को पूर्व में उजागर करने का दंश मैं अभी तक झेल रहा हौं ख़ैर, कृपा कर इसे भी परिभाषित कर दीजिए कि यहां अवैध रूप से कार्यरत “कटर” क्या बीमारी है?

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