भोपाल : बहुत ही जल्द नवरात्रि का त्योहार शुरू होने वाला है। जिसके लिए अभी से ही तैयारी शुरू कर दी गई है। लोगों ने अपने घरों की साफ-सफाई शुरू कर दी है। वहीं, बाजारों में भी काफी ज्यादा भीड़ देखने को मिल रही है। पुलिस प्रशासन ने भी प्लानिंग तैयार कर ली है, ताकि उन दिनों किसी प्रकार की कोई समस्या ना हो। इसे लेकर मैहर में भी दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं। आइए जानते हैं कि इस साल भक्तों के लिए क्या खास इंतजाम किए गए हैं और किन चीजों पर रोक लगाई गई है।
इन चीजों पर रोक
दरअसल, इस बार माता के दर्शन के लिए वीआईपी व्यवस्था नहीं मिल पाएगी। इसपर प्रशासन द्वारा पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। जिसका निर्णय मां शारदा देवी मंदिर प्रबंध समिति की बैठक में लिया गया। इसे लेकर एसडीएम और प्रशासक मां शारदा देवी मंदिर प्रबंध समिति द्वारा सार्वजनिक सूचना भी जारी की गई है। इसके अलावा, लोगों से यह अनुरोध किया गया है कि वह VIP दर्शन के लिए किसी भी सुविधा की मांग ना करें। वहीं, 3 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक पूरे क्षेत्र में मांस, मछली की खरीद-बिक्री पर रोक लगा दी गई है। इस आदेश का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, लोगों की सुविधा को देखते हुए चप्पे-चप्पे पर पुलिस की तैनाती की जाएगी। इस दौरान सीसीटीवी और ड्रोन कैमरे से निगरानी रखी जाएगी। इससे लोगों को मैहर मेला के दौरान अपनी सुरक्षा की चिंता कम होगी और वे अपनी पूजा विधि निष्ठा के साथ अधिक से अधिक अनुभव कर सकेंगे।
52 शक्तिपीठों में से एक
बता दें कि मध्य प्रदेश के मैहर में त्रिकूट पर्वत पर मां शारदा देवी का मंदिर स्थित है, जो कि 52 शक्तिपीठों में से एक है। यहां हर दिन भक्तों की काफी ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है, लेकिन बसंत पंचमी, नवरात्रि जैसे त्योहारों में यहां पर बड़ा मेला आयोजित किया जाता है। इसलिए यहां देशभर के श्रद्धालु पहुंचते हैं। मां शारदा देवी को शिक्षा, ज्ञान और बुद्धि की देवी माना गया है, जो कि छात्रों के लिए कुलदेवी हैं। इन खास अवसरों में भक्त यहां पर आते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने के लिए मां शारदा की पूजा-अर्चना करते हैं। इस मंदिर तक पहुंचाने के लिए श्रद्धालुओं को 1063 सीढ़ियां चढ़कर ऊपर जाना पड़ता है। हालांकि, लोगों की परेशानी को ठीक करने के लिए रोपवे का भी संचालन किया जाता है।
पौराणिक कथा
इस मंदिर को लेकर लोगों की ऐसी मान्यता है कि जब मां सती ने यज्ञ कुंड में कूद कर आत्मदाह कर लिया था, तब भगवान शिव उनके शव को लेकर पूरे ब्रह्मांड में घूम रहे थे। इस दौरान माता के शरीर के अंग जिस-जिस स्थान पर गिरे हैं। वहां उनका पवित्र शक्तिपीठ बन गया। जिनमें से एक मैहर का मंदिर भी शामिल है। यह नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यहां पर माता सती का हार गिरा था, इसलिए यह मैहर के नाम से प्रचलित हो गया है।