भोपाल : मार्च, 2020 मध्य प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस की अंदरूनी कलह ने ऐसा विषाक्त रूप धारण कर लिया था कि 18 साल तक पार्टी में रहने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया बीजेपी में चले गए। उनके साथ करीब दो दर्जन विधायकों ने भी कांग्रेस छोड़ दी ओर 15 महीने पहले कमलनाथ के नेतृत्व में बनी सरकार घुटनों पर आ गई। कमलनाथ को इस्तीफा देना पड़ा और करीब सवा साल तक विपक्ष में बैठने के बाद बीजेपी की सत्ता में वापसी हो गई थी। इसके बाद से शिवराज सिंह चौहान लगातार मुख्यमंत्री बने हुए हैं, लेकिन अब लगता है बीजेपी के लिए पे-बैक टाइम नजदीक आ गया है। सिंधिया के सहारे सत्ता का सुख भोगने वाली बीजेपी को अब इसके दूसरे पहलू से रूबरू होना पड़ सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के बेटे दीपक जोशी जल्द ही कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं।
दीपक जोशी 2018 के विधानसभा चुनाव में हाटपिपल्या विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी के उम्मीदवार थे, लेकिन हार गए थे। उनको हराने वाले मनोज चौधरी वर्ष 2020 में सिंधिया के साथ बीजेपी में चले गए। उपचुनाव में बीजेपी ने चौधरी को अपना उम्मीदवार बना दिया और वे जीत भी गए। तब से दीपक जोशी का राजनीतिक भविष्य अधर में है। यह करीब-करीब तय है कि इस साल होने वाले चुनाव में मनोज चौधरी ही बीजेपी के उम्मीदवार होंगे। ऐसे में वो कांग्रेस में अपना ठिकाना ढूंढ सकते हैं।
सिंधिया फैक्टर आने वाले दिनों में बीजेपी के लिए और भी मुश्किलें खड़ी कर सकता है। 2020 में सिंधिया और उनके समर्थकों के आने के बाद जिन सीटों पर उपचुनाव हुए, वहां बीजेपी के पुराने नेताओं के लिए दरवाजे करीब-करीब बंद हो गए हैं। चुनाव नजदीक आने पर वे अपने लिए नए विकल्प की तलाश कर सकते हैं। बीजेपी से बदला लेने के लिए व्याकुल कांग्रेस को इसी मौके का इंतजार है। दीपक जोशी के अलावा कई अन्य नेताओं पर भी उसकी नजर है।
अनुसूचित जाति वर्ग के बड़े नेता डा. गौरीशंकर शेजवार पर भी कांग्रेस की निगाहें हैं। उनकी सांची विधानसभा क्षेत्र पर भी सिंधिया समर्थक डा. प्रभुराम चौधरी का कब्जा है। पिछले चुनाव में शेजवार के बेटे मुदित शेजवार भाजपा प्रत्याशी थे लेकिन चुनाव हार गए थे। जानकारी के मुताबिक कांग्रेस ने गौरीशंकर शेजवार को ऑफर दिया है कि वे खुद चुनाव लड़ें तो पार्टी उन्हें टिकट दे सकती है।
सिंधिया फैक्टर को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस, बीजेपी के कई पूर्व मंत्री और पूर्व विधायकों पर डोरे डाल रही है। इनमें कई ऐसे दिग्गज हैं, जिनकी परंपरागत सीट पर सिंधिया के साथ बीजेपी में आए नेता चुनाव जीत गए हैं। जयंत मलैया और रामकृष्ण कुसमरिया जैसे पूर्व मंत्रियों से भी कांग्रेस ने संपर्क साधा है। दूसरी ओर, गौरीशंकर बिसेन अपनी बेटी को टिकट देने के लिए पार्टी पर दबाव बना रहे हैं। बीजेपी ने इनकार किया तो वे भी पैंतरा बदल सकते हैं।