उज्जैन : विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल के दरबार से सावन और भादो मास में सवारी निकलती है। आज सावन का तीसरा सोमवार है और एक बार फिर राजाधिराज अपनी रजत पालकी में सवार होकर भक्तों का हाल-चाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकलेंगे।
सावन का सोमवार होने की वजह से आज तड़के भस्म आरती में बाबा का विशेष श्रृंगार किया गया है। सुबह से ही भक्तों की भारी भीड़ दर्शन के लिए उमड़ रही है। सवारी को लेकर भक्तों में उत्साह भी है।
शिव तांडव स्वरूप में दर्शन
बाबा महाकाल की सवारी का क्रम जैसे-जैसे बढ़ता है उनके अलग-अलग स्वरूप सवारी में शामिल होते चले जाते हैं। आज सभा मंडप में पूजन अर्चन के बाद शाम 4 बजे सवारी का क्रम शुरू होगा। इस दौरान पालकी में बाबा चंद्रमोलेश्वर, हाथी पर मन महेश और गरुड़ रथ पर शिव तांडव के रूप में दर्शन देंगे।
सवारी का मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र बलों द्वारा सलामी देकर स्वागत किया जाएगा। इसके बाद सवारी अपने परंपरागत मार्ग कोट मोहल्ला, महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्शी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए रामघाट पहुंचेगी। यहां शिप्रा जल से बाबा का पूजन अभिषेक करने के बाद एक बार फिर सवारी का क्रम शुरू होगा, जो दानी गेट, ढाबा रोड, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होते हुए पुनः मंदिर पहुंचेगी।
बनाया जाएगा वर्ल्ड रिकॉर्ड
इस बार बाबा महाकाल की सवारी में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की तैयारी भी की जा रही है। सवारी शुरू होने से पहले महाकाल महलोक के सामने 1500 डमरू वादक एक साथ डमरू वादन करेंगे। शक्ति पथ पर भस्म आरती की धुन पर 10 मिनट तक प्रस्तुति दी जाएगी। इसके लिए गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम ड्रोन तथा कैमरे से प्रस्तुति की निगरानी करेगी। शक्तिपथ की प्रस्तुति के बाद यह सभी डमरू वादक बाबा महाकाल की सवारी में शामिल होंगे। महाकाल मंदिर प्रबंध समिति द्वारा भोपाल और उज्जैन के डमरू वादकों को इस रिकॉर्ड को बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया गया है।