भोपाल। राज्यसभा सांसद विवेक तंखा ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है सांसद तंखा ने मध्यप्रदेश के धार जिले में कारम बांध के क्षतिग्रस्त होने एवं ई टेंडरिंग घोटाले के कारणों की संयुक्त जांच केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई / ईडी से करवाने का अनुरोध किया है। तंखा ने अपने पत्र में लिखा है कि यह चिंताजनक है कि प्रदेश के धार जिले में कारम नदी पर 304.44 करोड़ के प्रोजेक्ट वाला बांध आखिरकार बारिश क्यों नही संभाल पाया, इस क्षेत्र के बांध से क्षेत्र के 50 गांवों के किसानों को काफी उम्मीदें थीं, लेकिन इस बांध ने लोगो का काफी नुकसान कर दिया।
विवेक तंखा ने लिखा कि प्रदेश जानता है कि विगत कुछ वर्षो के दौरान मध्यप्रदेश में ई टेंडर में हस्तक्षेप के माध्यम से टेंडर में छेड़छाड़ की एक परंपरा रही है, इसके बारे में सर्वप्रथम जानकारी तब सामने आई जब भारत की एक विश्व स्तर की प्रसिद्ध कंपनी जो आधारभूत संरचना और निर्माण के क्षेत्र में अग्रणी है जिसने पूर्व में भी शासन द्वारा जारी किए गए ई टेंडर की प्रक्रिया में हिस्सा लिया था किंतु असफल रहने पर जब इसके कारणों की जांच कराई तो ई टेंडर प्रक्रिया में त्रुटि सामने आई, कंपनी ने इस बारे में विभाग से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों को भी अवगत कराया था।
राजसभा सांसद विवेक तन्खा ने लिखा है कि- कारम बांध भ्रष्टाचार की भेट चढ़ा है। ब्लैक लिस्टेड कंपनी को बांध निर्माण का ठेका दिया गया। ब्लैक लिस्टेड कंपनी ने दूसरी ब्लैक लिस्टेड कंपनी से कारम बांध का निर्माण कराया। सीएम हाउस के अधिकारी भी इस घोटाले में शामिल है। 2022 में विधानसभा में जल संसाधन मंत्री ने मुद्दा उठाया था। इसके बावजूद जिम्मेदारों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
विवेक तंखा ने पत्र में लिखा है
अप्रैल 2018 में प्रदेश में ई-टेंडर घोटाला सामने आया था। उस समय ई-प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेड़छाड़ कर 3 हजार करोड़ के टेंडर में गड़बड़ी की गई थी। इस बांध का ठेका भी इसी ई-टेंडर घोटाले से जुड़ा हुआ है। 2018 में कारम बांध निर्माण का कार्य एक ब्लैक लिस्टेड कंपनी ANS कंस्ट्रक्शन को दिया गया था, लेकिन उसने यह कार्य खुद नहीं किया, बल्कि उसने इसे एक और ग्वालियर की एक ब्लैकलिस्टेड कंपनी सारथी कंस्ट्रक्शन को पेटीकॉन्ट्रैक्ट में दे दिया। प्रदेश के जल संसाधन मंत्री ने भी 10 मार्च 2022 को विधानसभा में स्वीकार किया था कि कारम डैम प्रोजेक्ट के टेंडर में गड़बड़ी हुई है। एक ब्लैकलिस्टेड कम्पनी द्वारा किये गए कार्य में गुणवता के साथ कितना समझौता किया गया होगा. यह बाँध की हालत बयां करती है। मुझे प्राप्त जानकारी के अनुसार कारण बाँध निर्माण के टेंडर में मुख्यमंत्री कार्यालय के कुछ अधिकारी भी शामिल थे यह घोटाला अन्य परंपरागत घोटालों से अलग है, क्योंकि इसमें रिश्वत की स्का पहले तय की गयी उसके बाद बवे हुए पैसों से निर्माण कार्य करवाया गया। शायद इसी बन्दर बाँट का ही परिणाम था कि स्थानीय लोगो द्वारा बांध निर्माण कार्य में घोटाले की शिकायत कोलगातार नजर अंदाज किया जाता रहा।
प्रदेश जानता है कि विगत कुछ वर्षों के दौरान मध्य प्रदेश में ई-टेंडर में हस्तक्षेप के माध्यम सेटेंडर में छेड़छाड़ की एक परंपरा रही है। इसके बारे में सर्वप्रथम जानकारी तब सामने आयी जब भारत की एक विश्व स्तर की प्रसिह कंपनी, जो आधारभूत संरचना और निर्माण के क्षेत्र में अग्रणी है, जिसने पूर्व में शासन द्वारा जारी किये गए ई-टेंडर की प्रक्रिया में हिस्सा लिया था, किन्तु असफल रहने पर जब इसके कारणों की जांच कराई तो ई-निविदा प्रक्रिया में त्रुटि सामने आयी कंपनी ने इस बारे में विभाग से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों को भी अवगत कराया था।
शासन स्तर पर इस घोटाले की प्रारंभिक जांच लोक निर्माण विभाग के कार्यालय द्वारा कराई गयी और प्रथम दृष्टयाटेंडरिन प्रक्रिया में छेड़छाड़ सामने आयी थी। इसके शिकायतकर्तान इसका स्क्रीनशॉट भी अधिकारियों को उपलब्ध कराया था, जिसमे निविदा प्रक्रिया में वर्षों से चले आ रहे गड़बड़ी के खेल से करोंडोके ठेके चुनिंदा अधिकारियो द्वारा अपने चहेतों को दिए जाने की बात सामने आयी थी कुछ चहेते चिन्हित भी किये गए थे जिनको अंततः ठेके दिए जाते थे। इन चहेतों का नाम उजागर करना भी कोई कठिन कार्य नहीं है।