निशा बांगरे ने कांग्रेस के सभी पदों से दिया इस्तीफा, जीतू पटवारी को लिखी चिट्ठी, पार्टी को बताया ‘जलता हुआ घर’

भोपाल : पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे उस समय सुर्खियों में आई थी जब उन्होंने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के समय अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी थी। हालांकि, पिछले दिनों उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी वापस मांगी थी। जिसके बाद ऐसा कहा जा रहा था कि वह राजनीति से दूर हो सकती हैं। इसी बीच निशा ने बड़ा कदम उठाते हुए कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। अब इस्तीफा देने के बाद वह राजनीति छोड़ रही हैं या फिर किसी अन्य दल में शामिल हो रही हैं यह कह पाना मुश्किल है। दरअसल, उन्होंने अपने इस्तीफे में कांग्रेस पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं ऐसे में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वह किसी अन्य दल में शामिल हो सकती हैं।

जीतू पटवारी को भेजा इस्तीफा

निशा बांगरे ने लोकसभा चुनाव से पहले रविवार यानी आज कांग्रेस के सारे पदों से इस्तीफा दिया है। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी को दो पन्ने का पत्र लिखा है। जिसमें वह पार्टी के सभी दायित्वों से मुक्त होने के बाद कहती नजर आ रही हैं। कुछ दिनों पहले ही उन्हें पार्टी का मुख्य प्रवक्ता बनाया गया था लेकिन अब लगता है कि 6 महीने के अंदर ही उनका राजनीति से मोह भंग हो चुका है।

कांग्रेस पर लगाए गंभीर आरोप

निशा ने अपने इस्तीफा में कांग्रेस पार्टी पर कई तरह के आरोप लगाएंगे और वादा खिलाफी का जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि उन्हें विधानसभा चुनाव में टिकट देने का आश्वासन दिया गया था तब जाकर उन्होंने डिप्टी कलेक्टर के पद से इस्तीफा दिया था। हालांकि, 3 महीने पहले उन्होंने नौकरी वापस पाने के लिए आवेदन लगा दिया है।

लगाए कई गंभीर आरोप

निशा बांगरे ने इस्तीफा में लिखा है कि कांग्रेस में नारी सम्मान की कोई जगह नहीं है। उन्होंने लिखा कि मैं कांग्रेस की राजनीति में व्यापक तौर पर काम करना चाहती थी। लेकिन पार्टी ने मेरी योग्यता को अयोग्यता बना दिया। यही कारण है कि मैं पार्टी के सारे दायित्व से मुक्त होना चाहती हूं। अब मैं पूरा जीवन बाबा साहब के विचारों के प्रचार प्रसार में समर्पित करूंगी।

निशा ने यह भी लिखा है कि कांग्रेस में विधानसभा चुनाव के दौरान मेरे साथ वादा खिलाफी की है। 229 का प्रत्याशी घोषित किए और आमला सीट मेरे लिए होल्ड रखने का दिखावा करते हुए समाज का वोट बटोरना चाहा। षड्यंत्र कर मुझे चुनाव लड़ने से रोका गया और इसके बाद लोकसभा में टिकट देने का भरोसा दिया गया लेकिन यहां पर भी वादा खिलाफी हुई है।

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