मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार अब किसानों को मिलने वाली बिजली सब्सिडी में कटौती करने की तैयारी कर रही है। रबी-खरीफ की मुख्य फसलों गेहूं व चावल के अलावा मूंग और अन्य फसल उगाने वाले किसानों को अब सब्सिडी वाली बिजली मिलना बंद हो सकती है। मंगलवार को कैबिनेट बैठक के दौरान सीएम शिवराज ने मंत्रियों से इस बारे में चर्चा की।
जानकारी के मुताबिक बिजली सब्सिडी के 22 हजार करोड़ रुपए विभाग की तरफ से मांगे गए तो सीएम ने कहा कि बजट में 12-13 हजार करोड़ दे दिए हैं। बाकी की व्यवस्था अनुपूरक में हो जाएगी। खबर है कि उनकी मंशा किसानों को तीसरी फसल के रूप में उगानेवाले मूंग आदि के लिए बिजली सब्सिडी देने की नहीं है। मुख्यमंत्री की इस मंशा के समर्थन में कई मंत्री भी हैं। सबका मानना है कि दो मुख्य फसलों के अलावा जो अन्य फसल उगाते हैं उनसे बिजली का अतिरिक्त शुक्ल वसूला जाना चाहिए। सरकार इस पर जल्द ही निर्णय लेने के मूड में है।
बता दें कि कृषि के लिए 10 हॉर्सपावर तक के स्थायी कृषि पंप पर 58 से लेकर 81 रुपए तक प्रति हॉर्सपावर प्रतिमाह बिजली सब्सिडी मिलती है। दस हॉर्सपावर से अधिक के स्थायी कृषि पंप कनेक्शन धारकों को 58 से लेकर 81 रु./ हॉर्स पॉवर की हर माह सब्सिडी है और अस्थायी पंप कनेक्शन लेने पर भी किसानों को 81 रुपए की फ्लैट प्रति हॉर्स पॉवर की सब्सिडी हर माह दी जाती है। सरकार इस व्यवस्था को बोझ मानकर अपना दायित्व कम करने की सोच रही है।
किसान कांग्रेस प्रकोष्ठ के अध्यक्ष केदार सिरोही ने मुख्यमंत्री और उनकी सरकार की नीयत पर सवाल उठाए हैं। केदार सिरोही का कहना है कि सरकार कृषि उपज में वृद्धि और अच्छी फसल पर अपनी पीठ थपथाने का एक मौका नहीं छोड़ती मगर जब ये उपलब्धि किसानों से बांटने की बात आती है तो पीछे हटती हुई दिखती है। जब उत्पादन के लिए पुरस्कार मिलेगा तो मुख्यमंत्री आगे आ जाएंगे लेकिन किसानों की चिंता उन्हें नहीं है। सिरोही ने चेतावनी देते हुए में कहा कि ये कोई पूड़ी सब्जी बनाना नहीं है, हम सरकार को ऐसा नहीं करने देंगे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक कैबिनेट बैठक में वैकल्पिक और तीसरी फसल के रूप में ली जा रही मूंग की क्वालिटी पर भी सवाल खड़े किए गए। उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव, वन मंत्री विजय शाह समेत कुछ मंत्रियों ने कहा कि इसका उत्पादन नहीं होना चाहिए। यही नहीं उनका तो दावा है कि तीसरी फसल का सेवन भी स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।