भोपाल। अब लोकतंत्र में जनता ही लाट साहब है। अब जंगल में साहबगीरी नहीं होगी। जंगल मे रेंजर अब डेंजर हो गए हैं, लेकिन अब इनसे आदिवासी मजदूरों को डरने की जरूरत नहीं है। पेसा एक्ट जल-जंगल-जमीन से जुड़े अधिकार वापस दिलाने के लिए लागू कर रहा हूं। अब ग्राम सभा अपने विकास का बजट तय करेगी। अब सीएम या विधायकों के हाथ जोड़ने की जरूरत नहीं है। यह बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को केसला में आयोजित पेसा जागरूकता कार्यक्रम में कही।
कार्यक्रम में चौहान ने मंच से कहा कि पेसा एक्ट किसी के खिलाफ नही है। मप्र के 89 इलाकों में इसे लागू किया जा रहा है। अब ग्रामसभा की अनुमति के बिना कोई भी नई शराब दुकान या भांग दुकान नहीं खोली जाएगी। सभा को ड्राय डे घोषित करने का अधिकार भी होगा। अवैध शराब गांव में नहीं बेची जाएगी। हर गांव मयखाना नहीं बनाना है।जंगलों में अभी तक ठेकेदार और मुट्ठी भर लोग फायदा उठाते रहे। ग्राम सभा में शांति और विवाद निवारण समिति बनाई जाएगी। ग्राम सभा की बैठक में पटवारी और बीटगार्ड को खसरा नकल रखना होगी। अधिसूचित इलाकों में पुलिस एफआइआर करेगी तो ग्राम सभा को बताना होगा। मेलों का आयोजन भी अब ग्राम सभा करेगी। नए कानून में बांध या किसी प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण बिना ग्राम सभा की अनुमति नहीं होगा। जिनकी जमीन वे फैसला करेंगे। कोई भी आपकी जमीन कपट से नही ले सकेगा।
सीएम ने कहा कि मप्र में धर्मांतरण सहन नहीं करेंगे। आदिवासी बेटियों से विवाह कर उनकी जमीन हथियाने का षड्यंत्र मंजूर नहीं है, यदि आदिवासियों की जमीन पर अवैध कब्जा हुआ तो सभा इसे वापस ले सकेगी। बिना सहमति के पट्टा नीलाम नहीं होगा। गांव की खदानों पर भी आदिवासी समिति या हमारी बहन का पहला अधिकार होगा। गांव के तालाबों पर मछली-सिंगाड़ा पालन सभा करेगी। कोई कलेक्टर, कमिश्नर तय नही करेगा। गांव का रुपया अब गांव में ही रहेगा।