भोपाल : नर्सिंग छात्र संगठन ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग को पत्र लिखकर मध्य प्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल के प्रशासक डॉ. योगेश शर्मा को बर्खास्त करने की मांग की है। उन्होने कहा है कि इनके कार्यकाल में नर्सिंग के हालाद बद से बदतर हो रहे हैं और वो एक भ्रष्ट, तानाशाह व अयोग्य प्रशासक है। इसी के साथ उनके कार्यकाल में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर जांच की मांग भी की है।
नर्सिंग छात्र संगठन द्वारा लिखा गया पत्र
अपने पत्र में उन्होने लिखा है कि “मध्य प्रदेश नर्सेस रजिस्ट्रेशन काउंसिल के प्रशासक योगेश शर्मा का रवैया पूर्णत: नर्सिंग एवं छात्र-छात्राओं के लिए तानाशाह रहा है। वर्तमान में इनके द्वारा 28 संस्थाओं में डुप्लीकेट फैकल्टी पाए जाने पर इनमें से लगभग 19 संस्थाओं की मान्यता निरस्त कर दी है। जिन संस्थाओं को लाभ दिया गया उनमे से कई संस्थाएं किराये के छोटे छोटे भवनों में संचालित होती है और जिन संस्थाओं पर कार्यवाही की गई उनमें से अधिकतर 15 वर्ष से भी पुरानी हैं। जिनमें पीजी कॉलेज (कैंसर कॉलेज) ग्वालियर, सुखसागर मेडिकल कॉलेज जबलपुर, एनआरआई नर्सिंग कॉलेज भोपाल शामिल है। जिन संस्थाओं की फैकल्टी को फैकल्टी डुप्लीकेसी में मान्य कर लाभ दिया गया है उनमें से कुछ शिक्षक विगत कई वर्षों से म.प्र. के शासकीय चिकित्सालय में पदस्थ है। जो यह दर्शाता है कि डॉ. योगेश शर्मा ने जानबूझकर तानाशाही करते हुये इस भ्रष्टाचार को अंजाम दिया है।”
“एक संस्था को केवल एक शिक्षक की डुप्लीकेसी के आधार पर सत्र के 9 मान से अधिक का समय पूर्ण हो जाने पर निरस्त कर देना सही नहीं है, जबकि ये संस्थाएं समस्त आधारभूत सुविधाओं जैसे भवन, चिकित्सालय, लैब, लायब्रेरी, शैक्षणिक अशैक्षणिक स्टाफ, छात्र-छात्राएं जैसी सुविधाओं को पूर्ण करता है। सभी संस्थाओं को फैकल्टी डुप्लीकेसी का स्पष्टीकरण एवं डुप्लीकेट फैकल्टी के स्थान पर दूसरे शिक्षक को नियुक्त कर लेने के उपरान्त ही सत्र 2022-23 की मान्यता प्रदान की गई थी। 9 माह से अधिक का अध्ययन एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण पूर्ण हो जाने के उपरान्त इन संस्थाओं के छात्र-छात्राओं के भविष्य को ध्यान में नहीं रखते हुये मान्यता निरस्त कर देना पूर्णतः छात्र विरोधी कृत्य है। प्रशासक द्वारा अप्रैल 2023 में इन संस्थाओं पर 2 लाख रुपये प्रति संस्था आर्थिक दंड लगाया गया था। वो जमा करने के उपरांत भी कुछ संस्थाओं की मान्यता निरस्त की गई एवं जिन संस्थाओं ने अनैतिक तरीके से भ्रष्ट प्रशासन को उपकृत किया उन्हें लाभ दिया गया।”
“एकतरफा संस्थाओं की मान्यता निरस्त कर देना पूर्णत: अनैतिक, तानाशाही एवं छात्र विरोधी है जबकि इनमें अध्ययनरत हजारों छात्र-छात्राएं अपने पाठ्यक्रम का 75 प्रतिशत से अधिक शैक्षणिक एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। इन सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए और छात्र-छात्राओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुए मांग करते हैं कि भ्रष्ट, तानाशाह एवं अयोग्य प्रशासक डॉ योगेश शर्मा को तुरंत प्रभाव से बर्खास्त किया जाए। उनके कार्यकाल में हुई अनियमितताओं की उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर जांच की जाए। 9 महीने अध्ययन एवं प्रायोगिक प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके छात्र-छात्राओं के सही संस्थाओं की मान्यता पुन: बहाल की जाए। डुप्लीकेट फैकल्टी में लाभ दी गई संस्थाओं पर कमेटी बनाकर पुन: सही तरीके से जांच की जावे परंतु छात्र छात्राओं के हित को भी ध्यान में रखा जाए।”