भोपाल : मध्य प्रदेश में शहरों से लेकर गांव तक सडकों का जाल बिछा हुआ है। लेकिन सड़कों पर होने वाले परेशानी का सबब बनते रहते हैं। इस मानसून में प्रदेश की सड़कों की पोल खुली है। कई ऐसी तस्वीरें सामने आई है जिससें ससाफ समझ आ रहा है कि इस बारिश ने प्रदेश की सड़कों का बुरा हाल कर दिया। ऐसे में जर्जर सड़कों का पैंचवर्क कराने के लिए प्रदेश सरकार ने नया फॉर्मूला लागू करने की मंशा बनाई है। मध्य प्रदेश अब हरियाणा मॉडल से सड़कें सुधारी जाएंगी।
जानकारी के अनुसार इस फॉर्मूर्ल के तहत सड़कों का रख रखाव निजी कंपनी करेगी। और जनता की शिकायत पर सड़कों को सुधारा जाएगा, वह भी समय सीमा में। इस नए फॉर्मूले के तहत सड़कें अब लोक निर्माण विभाग के इंजीनियरों और अफसरों के सिफारिश पर नहीं बल्कि जनता की शिकायत पर सुधारी जाएंगी। इसके लिए कंपनी को समय सीमा भी दी जाएगी।
वहीं समय सीमा में कंपनी अगर सड़कें दुरुस्त नहीं करती, तो कार्रवाई होगी। सरकार ने भोपाल, विदिशा, रायसेन, राजगढ़ , नर्मदापुरम और हरदा जिले की सड़कों के पैंचवर्क के ठेके देने की तैयारी कर ली है। इन जिलों में 4244 किमी सड़कें शामिल हैं। और कंपनियों को 3 वर्ष तक पैचवर्क करना होगा। साथ विभाग के इंजीनियर हस्तक्षेप नहीं कर सकेंगे।जिम्मेदारी जनता और संबंधित कंपनी की होगी।
इसे लेकर लोक निर्माण विभाग के अफसरों का कहना है कि यह एक नवाचार की कोशिश है। प्रदेश में नए तरह का मॉडल है। इसी के चलते यह भोपाल कैपिटल जोन में लागू किया गया है। यह प्रयोग सफल होता है तो इसे सभी जिलों में लागू किया जाएगा।भोपाल सहित प्रदेशभर में अधिकांश सडकें मानसून की बारिश के कारण खराब हो जाती हैं। शहर और गांवों को जोड़ने वाले अधिकांश संपर्क मार्ग टूटे हुए हैं।
अधिकारी ने बताया कि इस बार भी भोपाल की करीब 70 प्रतिशत खराब सड़कों से लोगों को राहत नहीं मिल पा रही है। बारिश थमने पर जहां धूल के गुबार उड़ते हैं तो ,बारिश होने पर गड्ढे उभर आते हैं और कीचड़ फैल जाता है। प्रदेश में सड़कों का निर्माण विभिन्न एजेंसियों द्वारा किया जाता है। इसलिए इनका पैंचवर्क समय पर नहीं हो पाता है।
बता दें कि सरकार ने निजी कंपनी को पैंचवर्क का काम देने की तैयारी की है। विभाग इसके लिए ऐप तैयार करेगा। इस पर लोग खराब सडकों की फोटो अपलोड कर सकेंगे। इसके बाद कंपनियों को बताना होगा कि शिकायत कितने दिन में दूर की गई। वर्तमान में विभाग के पास सड़कों के रख-रखाव का बजट इन जिलों के लिए लाखों में होता था। इसी से बारिश में खराब होने वाली सड़कों के गड्ढे भी भरे जाते हैं। इसके लिए सरकार ज्यादा राशि खर्च करने जा रही है।
कंपनी को सड़कों के मेंटेनेंस के लिए 143.66 लाख रुपये प्रति वर्ष मिलेंगे। लेकिन ठेके लेने के 6 माह तक कोई राशि नहीं दी जाएगी। पहले सड़कों का रिपेयर करना होगा। सरकार के पास रिपोर्ट पहुंचने के बाद भुगतान किया जाएगा। ऐसा फॉर्मूला अभी देश में सिर्फ हरियाणा में लागू है। वहां सड़कों का रख रखाव एक निजी कंपनी कर रही है। वहां से मध्य प्रदेश सरकार यह मॉडल अपनाने जा रही है।