भोपाल। प्रदेश भर में नशाबंदी के खिलाफ मुखर भाजपा की फायरब्रांड नेता उमा भारती ने 7 नवम्बर से 14 जनवरी तक मध्यप्रदेश का भ्रमण करने की घोषणा की है। इस दौरान वे मंदिर, नदियाँ, जंगल, शराब की दुकान या अहाता कहीं भी टेंट लगा कर रात्रि विश्राम करेंगीं। शुक्रवार को पत्रकारों से रुबरू होने के बाद शनिवार को उमा भारती ने ट्विटर पर अपने कार्यक्रम का पिटारा खोला।
शनिवार को प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती ने एक साथ चौदह ट्वीट किए। इनके माध्यम से उन्होंने अगले महीने से नशाबंदी के खिलाफ कार्यक्रम तो साझा किया ही, साथ ही यह भी लिखा कि लंबे समय से उनको नशाबंदी के सिर्फ आश्वासन मिले। उमा ने जो चौदह ट्वीट किये,उनका समग्र रूप यह है –
“7 नवम्बर से 14 जनवरी तक मध्यप्रदेश का भ्रमण होगा। मंदिर, नदियाँ, जंगल, शराब की दुकान या अहाता कहीं भी टेंट लगाकर रात्रि विश्राम होगा। अब जाके मेरे मन को शांति मिली। जो बात मैंने कल कही वो तो मैं मार्च में ही कहना चाहती थी, लेकिन दिल्ली में भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से शराबबंदी पर मुलाक़ात एवं बातों का जो दौर मार्च से मई तक चला उससे यह बात मन में दबी रह गई। जिन नेताओं से बातों का दौर चला उनके नाम नहीं बता सकती थी, उनपर अविश्वास भी नहीं था। बस एक नीति के अभाव में वह कोई निर्णय ही नहीं ले पाए एवं मेरे 5 महीने निकल गए। मैं विश्वास करती रही कि बातों से कोई परिणाम सामने आ जाए, इसलिए मेरी निंदा और उपहास होते रहे फिर भी मैं धैर्य धारण किए रही। अपनी कही हुई बात पर अमल करने का साहस मेरे बड़े भाई शिवराज सिंह चौहान ने दिखाया। मोदी मेरे नेता, शिवराज मेरे बड़े भाई एवं भाजपा ही मेरा परिवार हैं। मोंहि न कछु बाँधे कर लाजा। कीन्ह चहौ निज प्रभु कर काजा।”
“मुझे तो लक्ष्य सिद्धि चाहिये थी। मैंने हनुमान जी, वीर शिवाजी तथा क्रांतिकारी चे ग्वेरा से यही सीखा हैं कि खुद पर नहीं लक्ष्य पर नज़र रखो। भाजपा की ही नहीं, बल्कि पूरे देश के राजनीतिक दलों की यह समस्या हैं कि शराब के संबंध में उनकी कोई निश्चित नीति नहीं है। यह पूर्णतः राज्यों का विषय हैं एवं राज्य सरकारें ही अपने तरीके से इसपर नीति बनाती हैं और वह नीति इसपर निर्भर हो जाती हैं कि शराब माफिया का इस पर कितना शिकंजा हैं। सरकार का अभियान सफल हो, नई शराब नीति बने एवं मध्यप्रदेश भाजपा एवं भाजपा शासित प्रदेशों के लिये मॉडल स्टेट बने। लोगों की ज़िंदगी नष्ट करके शराब से वसूले गये राजस्व के लालच से मुक्त होकर राजस्व के नये विकल्प तलाशने में भी मध्यप्रदेश मॉडल स्टेट बन सकता हैं। इस अभियान के पीछे मेरी कोई ओछी राजनीतिक आकांक्षा हैं, ऐसे पापपूर्ण दुष्प्रचार का मैं बहुत कठोरता से जवाब दूँगी। मुझे इन बातों की ज़रूरत ही कहां है। यहाँ तो सारी जमीन भी मेरी हैं एवं आसमान भी मेरा हैं। आप सब मेरे हैं एवं मैं आप सबकी हूँ। मार्च 2023 में नई नीति आने तक जागरूकता अभियान के साथ कुछ दुकानें एवं अहाते बंद करना शुरू कर देना चाहिए। मध्यप्रदेश के विधि विभाग की यह ज़िम्मेदारी होनी चाहिये की उन्हें कोर्ट से स्टे ना मिले। माननीय कोर्ट कभी शराबियों के पक्ष में नहीं हो सकता, यह तो हमारे विधि विभाग एवं विधि विशेषज्ञों की खामियाँ हैं कि उन्हें स्टे मिल जाता हैं।”