ऑस्कर जीतने वाले स्तयजीत रे ने दी सिनेमा जगत को बेहतरीन फिल्में

भारतीय सिनेमा के महान और दिवंगत फिल्म निर्माता सत्यजीत रे को गुजरे हुए 30 साल हो चुके हैं। वह एक महान लेखक, कलाकार, चित्रकार, फिल्म निर्माता, गीतकार, कॉस्ट्यूम डिजाइनर थे। कला और साहित्य से जुड़े एक रचनात्मक परिवार में जन्मे, सत्यजीत रे ने एक विज्ञापन एजेंसी से अपना करियर शुरू किया था। सत्यजीत रे को उनकी पहली फिल्म ‘पाथेर पांचाली’ के लिए दुनिया भर में जाना जाता है, जिसने भारतीय सिनेमा को वैश्विक सुर्खियों में ला दिया था। 70 साल की उम्र में सत्यजीत रे ने 23 अप्रैल को कोलकाता में दिल का दौरा पड़ने के बाद दम तोड़ दिया था। आज हम इस आर्टिकल में उनके जीवन की कुछ शानदार फिल्में आपको बताने जा रहे हैं, जो ओटीटी पर भी मौजूद हैं।

फिल्म का नाम- अभिजान (1962)
ओटीटी प्लेटफॉर्म- अमेजन प्राइम वीडियो

‘अभिजान’ सत्यजीत रे की सबसे कम चर्चित फिल्मों में से एक है, लेकिन व्यावसायिक रूप उनकी सबसे सफल फिल्म रही। फिल्म एक टैक्सी ड्राइवर की कहानी हैं, जिसका गुस्सा उसे कार-रेस में ले जाता है। प्रसिद्ध फिल्म टैक्सी ड्राइवर में मार्टिन स्कॉर्सेसे का नायक इस फिल्म के चरित्र से प्रभावित था। सौमित्र चटर्जी के साथ इस फिल्म में वहीदा रहमान ने अभिनय किया है।

फिल्म का नाम- महानगर (1963)
ओटीटी प्लेटफॉर्म- जी 5

‘महानगर’ नरेंद्रनाथ मित्रा की एक शॉर्ट स्टोरी अबतरनिका पर आधारित है। फिल्म एक गृहिणी के इर्द-गिर्द घूमती है, जो अपने परिवार की परंपराओं को छोड़कर एक सेल्स वूमेन की नौकरी करती है।

फिल्म का नाम- चारुलता (1964)
ओटीटी प्लेटफॉर्म- जी 5

सत्यजित रे कि यह फिल्म रवींद्रनाथ टैगोर के नॉवल नस्तानईरह (द ब्रोकन नेस्ट) पर आधारित है। यह फिल्म चारुलता के जीवन को दर्शाती है, जो शादी के काफी समय बाद तक भी नि: संतान है।

फिल्म का नाम- टू: ए फिल्म फेबल (1964)
ओटीटी प्लेटफॉर्म- यूट्यूब

‘टू: ए फिल्म फेबल’ एक ब्लैक एंड वाइट साइलेंट फिल्म है। फिल्म एक सड़क पर रहने वाले गरीब बच्चे और एक अमीर बच्चे के बीच की लड़ाई को दिखाती है। इन दोनों की यह लड़ाई अपने-अपने खिलौने दिखाने के दौरान हो जाती है, जो पूरी कहानी ही बन जाती है।

फिल्म का नाम- नायक (1966)
ओटीटी प्लेटफॉर्म- जी 5

‘नायक’ फिल्म का लेखन और निर्देशन दोनों ही सत्यजीत रे द्वारा किया गया है। यह फिल्म एक फिल्म स्टार की कहानी को दिखाती है, जो राष्ट्रीय पुरस्कार पाने के लिए कोलकाता से दिल्ली की ट्रेन में सफर कर रहा होता है। ट्रेन में वह एक पत्रकार से मिलता है, जिसे वह अपना असली चेहरा दिखाता है। उसकी यह कहानी फ्लैशबैक और सपनों के माध्यम से दर्शकों को बताई जाती है। इस फिल्म में शर्मिला टैगोर और उत्तम कुमार मुख्य भूमिकाओं में हैं।