इंदौर। मध्य प्रदेश के इंदौर की विशेष अदालत ने वर्ष 2005 के कथित पेंशन घोटाले में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और तत्कालीन महापौर कैलाश विजयवर्गीय के खिलाफ दायर शिकायत पर कार्यवाही खत्म कर दी है क्योंकि 17 साल का लंबा अरसा बीतने के बावजूद राज्य सरकार ने उन पर मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं दी। प्रदेश कांग्रेस इकाई के मीडिया विभाग के अध्यक्ष के.के. मिश्रा ने 33 करोड़ रुपये के इस कथित घोटाले को लेकर यह शिकायत दायर की थी।
विशेष न्यायाधीश मुकेश नाथ ने राज्य सरकार द्वारा विजयवर्गीय और अन्य तत्कालीन लोक सेवकों के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी के अभाव का हवाला देते हुए शिकायत की कार्यवाही खत्म करने का आदेश जारी किया। आदेश में कहा गया कि अभियोजन स्वीकृति की प्रत्याशा में शिकायत पर आगामी कार्यवाही नहीं की जा सकती है और मामले को अनंतकाल तक लंबित भी नहीं रखा जा सकता। विशेष अदालत ने हालांकि अपने आदेश में जोड़ा कि अगर शिकायतकर्ता को प्रदेश सरकार की अभियोजन स्वीकृति प्राप्त होती है, तो वह इस मामले में अदालती कार्यवाही बहाल कराने के लिए स्वतंत्र है।
विजयवर्गीय थे इंदौर के मेयर
गौरतलब है कि विजयवर्गीय 2000 से 2005 के बीच इंदौर के महापौर रहे थे और तब से लेकर अब तक नगर निगम में भाजपा की सत्ता चल रही है। मिश्रा ने शुक्रवार को कहा, ‘प्रदेश सरकार द्वारा इंदौर नगर निगम के पेंशन घोटाले में 17 साल तक अभियोजन स्वीकृति नहीं दिया जाना साफ दिखाता है कि वह भ्रष्टाचारियों को बचा रही है।’ उन्होंने आरोप लगाया कि विजयवर्गीय के इंदौर के महापौर रहते नगर निगम ने निराश्रितों, विधवाओं और दिव्यांगों को शहर की सहकारी साख संस्थाओं के जरिये सरकारी पेंशन बांटी, जबकि कायदों में मुताबिक इस पेंशन का भुगतान राष्ट्रीयकृत बैंकों या डाकघरों के जरिये किया जाना था।
मिश्रा ने लगाए थे ये आरोप
मिश्रा का आरोप है कि नगर निगम द्वारा अपात्रों, काल्पनिक नाम वाले लोगों और मृतकों तक को पेंशन का बेजा लाभ दिए जाने से सरकारी खजाने को 33 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। मिश्रा के वकील विभोर खंडेलवाल ने बताया कि कथित पेंशन घोटाले में प्रदेश सरकार द्वारा अभियोजन स्वीकृति नहीं दिए जाने को लेकर उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ में उनके मुवक्किल की याचिका पहले से विचाराधीन है। उन्होंने बताया, ‘हमने इस याचिका में उच्च न्यायालय से गुजारिश की है कि प्रदेश सरकार को पेंशन घोटाले में अभियोजन स्वीकृति के हमारे आवेदन पर जल्द कोई भी निर्णय लेने के लिए निर्देशित किया जाए।’