नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि नालंदा का हमारे गौरवशाली अतीत से गहरा नाता है। यह विश्वविद्यालय निश्चित रूप से युवाओं की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने में काफी मदद करेगा।
प्रधानमंत्री ने किया उद्घाटन
पीएम मोदी ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के सपनों का नालंदा अब नया रूप ले रहा है। इससे पहले उन्होंने यूनिवर्सिटी के अवशेषों को करीब से देखा और उसके बारे में जानकारी ली। इससे पहले प्रधानमंत्री ने अपने एक्स अकाउंट से नालंदा विश्वविद्यालय की तस्वीरें भी साझा की। नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर के उद्घाटन कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर, बिहार के राज्यपाल राजेंद्र आर्लेकर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा सहित अन्य प्रतिनिधि और 17 देशों के राजदूत भी शामिल हुए। बता दें कि साल 2016 में नालंदा के खंडहरों को संयुक्त राष्ट्र ने विरासत स्थल घोषित किया था और 2017 से विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ।
स्थापनाऔरइतिहास
नालंदा विश्वविद्यालय, प्राचीन भारत की विद्या और शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र था। यह विश्वविद्यालय आधुनिक बिहार राज्य के नालंदा जिले में स्थित था। अपने समय में नालंदा विश्वविद्यालय ज्ञान और विद्या का एक प्रतिष्ठित केंद्र था, जहाँ विश्वभर से विद्वान और छात्र अध्ययन करने आते थे। नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना गुप्त वंश के सम्राट कुमारगुप्त प्रथम (राज 415-455 ई.) के शासनकाल में हुई थी। यह विश्वविद्यालय 5वीं शताब्दी से 12वीं शताब्दी तक संचालित रहा और इसे बौद्ध धर्म के महान केंद्र के रूप में जाना जाता था।
वास्तुकलाऔरसंरचना
नालंदा नाम का अर्थ होता है ‘ज्ञान देने वाला’ और यह नाम अपने आप में इसकी महानता को प्रकट करता है। उस समय नालंदा विश्वविद्यालय एक विस्तृत परिसर था, जिसमें कई विहार (मठ), चैत्य (मंदिर), पुस्तकालय और अध्ययन कक्ष थे। इसकी वास्तुकला अद्वितीय थी, जिसमें ईंट और पत्थरों का उपयोग प्रमुखता से किया गया था। विश्वविद्यालय के पुस्तकालय को ‘धर्मगंज’ कहा जाता था, जिसमें हजारों पांडुलिपियाँ और ग्रंथ संग्रहित थे। धर्मगंज तीन मुख्य भवनों में विभाजित था: रत्नसागर, रत्नोदधि और रत्नरंजक। नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन की उच्चतम मानक थे।
शिक्षा और पुनरूत्थान
यहाँ विभिन्न विषयों का अध्ययन कराया जाता था, जिनमें धर्मशास्त्र, तर्कशास्त्र, व्याकरण, चिकित्सा, गणित, ज्योतिष, खगोलशास्त्र और दर्शन शामिल थे। बौद्ध धर्म के अध्ययन के लिए यह एक प्रमुख केंद्र था, जहाँ बौद्ध धर्म के महायान और हीनयान शाखाओं का गहन अध्ययन होता था। 12वीं शताब्दी में बख्तियार खिलजी ने नालंदा विश्वविद्यालय पर हमला किया और इसे नष्ट कर दिया। इस हमले में धर्मगंज पुस्तकालय को भी जलाकर नष्ट कर दिया गया, जिससे हजारों पांडुलिपियाँ और ग्रंथ नष्ट हो गए। इसके बाद नालंदा विश्वविद्यालय का पतन हो गया और यह शिक्षा का केंद्र नहीं रहा। 20वीं शताब्दी में भारतीय और अंतरराष्ट्रीय विद्वानों और सरकारों ने नालंदा विश्वविद्यालय के पुनरुत्थान के प्रयास शुरू किए। इसके परिणामस्वरूप 2010 में नालंदा विश्वविद्यालय का पुनः स्थापना की गई और इसे एक अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के रूप में पुनर्जीवित किया गया। इसके बाद लगातार इसके पुनरूत्थान के प्रयास किए जा रहे हैं और इसी क्रम में आज प्रधानमंत्री ने नए परिसर का उद्घाटन किया है।