नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि ‘मेक इन इंडिया’ की तरह ‘वेड इन इंडिया’ का मूवमेंट चलना चाहिए। उन्होने कहा कि आजकल विदेशों में शादी का एक ट्रेंड सा चल गया है, ऐसे में देश के धन्ना सेठ और अमीर लोगों को मैं कहना चाहता हूं कि वो देश में ही शादी करें, जिससे यहां आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। शुक्रवार को उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में वैश्विक निवेशक शिखर सम्मेलन 2023 के शुभारंभ अवसर पर उन्होने ये बात कही।
धन्ना सेठों से की देश में ही शादी करने की अपील
प्रधानमंत्री मोदी ने दिवसीय वैश्विक निवेशक सम्मेलन का शुभारंभ किया। इस सम्मेलन में देश दुनिया के निवेशक और प्रतिनिधि शामिल हो रहे हैं। इस मौके पर उन्होने कहा कि “हमारे यहां माना जाता है कि शादी के लिए जोड़े ईश्वर बनाता है। मैं समझ नहीं पा रहा हूं जोड़े जब ईश्वर बना रहा है तो जोड़ा अपने जीवन की यात्रा उस ईश्वर के चरणों में आने की बजाय विदेश में जाकर क्यों करता है। मैं चाहता हूं कि मेक इन इंडिया जैसे ही एक मूवमेंट चलना चाहिए वेड इन इंडिया..नौजवानों को ये अभियान चलाना चाहिए कि शादी हिंदुस्तान में करो। दुनिया के दूसरे देश में शादी करने का आजकल हमारे यहां के धन्ना सेठों में फैशन हो गया है। मैं चाहूंगा कि कम से कम आने वाले 5 साल में आपके परिवार की एक डेस्टिनेशन शादी उत्तराखंड में कीजिए। अगर एक साल में पांच हजार शादियां भी होने लग जाएं तो एक नया इन्फ्रास्ट्र्रक्चर खड़ा हो जाएगा। दुनिया के लिए ये बड़ा वेडिंग डेस्टिनेशन बन जाएगा।”
थीम बेस्ड टूरिज्म सर्किट किया जा रहा है तैयार
पीएम मोदी ने कहा कि ‘आज भारत को देखने के लिए भारतीयों और विदेशियों दोनों में अभूतपूर्व उत्साह देखने को मिल रहा है। हम पूरे देश में थीम बेस्ड टूरिज्म सर्किट तैयार कर रहे हैं। कोशिश ये है कि भारत के नेचर और हेरिटेज दोनों से ही दुनिया को परिचित कराया जाए। इस अभियान में उत्तराखंड, टूरिज्म का एक सशक्त ब्रांड बनकर उभरने वाला है।” उन्होने कहा कि मेरा एक संकल्प है, आने वाले कुछ समय में इस देश में 2 करोड़ ग्रामीण महिलाओं को लखपति बनाने के लिए मैंने ‘लखपति दीदी’ अभियान चलाया है। हाउस ऑफ हिमालय ब्रांड से 2 करोड़ ग्रामीण महिलाओं को लखपति बनाने का काम तेजी से पूरा हो जाएगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि पहले की सरकारों की अप्रोच थी कि जो इलाके सीमा पर हैं, उनको ऐसे रखा जाए कि access कम हो। डबल इंजन की सरकार ने इस सोच को भी बदला है। हम सीमावर्ती गांवों को लास्ट विलेज नहीं, बल्कि देश के फर्स्ट विलेज के रूप में विकसित करने में जुटे हैं।