मध्य प्रदेश कांग्रेस के लिए कमलनाथ क्यों जरूरी?
मध्यप्रदेश में अगले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने एक बार फिर पूर्व CM कमलनाथ पर भरोसा जताया है. पार्टी के दिग्गज नेता भी इस बात पर सहमत हैं कि उनके नेतृत्व में ही अगला चुनाव लड़ा जाए. यहां इस बात को समझना जरूरी होगा कि कांग्रेस के लिए कमलनाथ कितने जरूरी और महत्वपूर्ण हैं.
कमलनाथ के पास सत्ता के गलियारों का अनुभव है. जाति के तौर पर न्यूट्रल फेस. चुनावों में प्रदेश कांग्रेस के लिए संसाधन जुटाने की क्षमता. उनका आर्थिक मैनेजमेंट भी पार्टी के अन्य नेताओं की तुलना में मजबूत है. इसके अलावा उन्हें पूर्व CM दिग्विजय सिंह का भी रणनीतिक तौर पर समर्थन हासिल है. कमलनाथ कांग्रेस में सबसे सीनियर लीडर हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है कि प्रदेश में भाजपा को सबसे कठिन चुनौती कमलनाथ ही दे सकते हैं.पार्टी में कमलनाथ की इंपॉर्टेंस को समझने के लिए हाल में दिया उनका बयान ही काफी है, जो यह संकेत करता है कि वे कांग्रेस के लिए कितने अहम हैं. कमलनाथ ने कहा था- ‘मैं तो किसी भी पद पर रहने का इच्छुक नहीं हूं. मैंने तो अप्लाई नहीं किया था किसी भी पद के लिए. 1 मई 2018 को अध्यक्ष बना था. मैंने तो नहीं कहा था कि मुझे अध्यक्ष बना दो. मैं तो बड़ा संतुष्ट था दिल्ली में’ उनके इस बयान के यह मायने निकाले जा रहे हैं कि मध्यप्रदेश कांग्रेस में फिलहाल ऐसा कोई भी नेता इस योग्य नहीं है कि उसे कमान सौंपी जा सके या उसके नेतृत्व में अगला चुनाव लड़ा जा सके.
मध्यप्रदेश में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालने वाले कमलनाथ के सामने पार्टी के सभी गुटों को साथ लाने की भी चुनौती थी. कांग्रेस के खोए हुए सामाजिक आधार को वापस दिलाना बड़ा टास्क था. इसे उन्होंने 2018 के विधानसभा में सिद्ध किया और मोदी-शिवराज और शाह की मजबूत तिकड़ी को चुनौती देते हुए सत्ता में आए.
कमलनाथ जानते हैं कि चुनाव किस तरह से जीता जाता है…
राजनीतिक मामलों के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी कहते हैं- कमलनाथ बहुत सीनियर लीडर हैं. उनके पास बहुत लंबा अनुभव है. वे मध्यप्रदेश के सभी नेताओं के लिए स्वीकार्य हैं. एक बार वे भाजपा और शिवराज को हरा चुके हैं. वे जानते हैं कि चुनाव किस तरह से जीता जाता है. अगर मध्य प्रदेश कांग्रेस में भाजपा के लिए सबसे बड़ा खतरा कोई है तो वो कमलनाथ ही हैं. इसलिए भाजपा भी कभी नहीं चाहती कि कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव लड़े. कमलनाथ उन नेताओं में से हैं, जिनके पास में योग्य लोगों की टीम है. इनके पास संसाधनों की कमी नहीं है. बिना कमलनाथ के मध्य प्रदेश में कांग्रेस का सरकार बनाने के सपने का हश्र वैसा ही होगा, जैसा 2008 और 2013 में हुआ था.
सबको एकजुट कर संगठन को तैयार किया…
कांग्रेस के मीडिया समन्वयक कहते हैं कि कमलनाथ ने मध्यप्रदेश में कांग्रेस का 15 साल का वनवास खत्म किया है. वे सबको एकजुट रख सकते हैं. उन्होंने पूरी कांग्रेस को एकजुट किया. संगठन को तैयार किया. बूथ स्तर तक उनका नेटवर्क है। सरकार भी बनीं. उनको सरकार चलाना आता है. उनके पास मप्र का विकास करने का विजन है. यह बात उन्होंने 15 महीने की सरकार में सिद्ध भी की.
युवा कमलनाथ के विकास मॉडल से प्रभावित हुए…
कमलनाथ के विकास मॉडल से युवा प्रभावित हैं. सरकारी व प्राइवेट सेक्टर में प्रदेश के मूल निवासियों को रोजगार देने में प्राथमिकता देने की बात ने बेरोजगार युवाओं को आकर्षित किया. खास बात यह भी है कि कमलनाथ का नाम आते ही छिंदवाड़ा का विकास मॉडल भी चर्चा में आ जाता है. आदिवासी क्षेत्र के रूप में जाने वाले छिंदवाड़ा में जो भी विकास हुआ, उसका श्रेय कमलनाथ को दिया जाता है. यह देश का सबसे पिछड़ा इलाका माना जाता था. इस शहर ने बताया कि विकास किस तरह किया जाता है.अच्छी सड़कें बनीं. हिंदुस्तान यूनीलिवर, ब्रिटानिया, रेमंड, भंसाली सहित विभिन्न निजी कंपनियों ने जिले में उद्योग लगाए. छिंदवाड़ा एजुकेशन हब के रूप में जाना गया। यहां इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, फुटवेयर डिजाइन सेंटर, नॉलेज सिटी, 6 केंद्रीय विद्यालय, एक नवोदय स्कूल तो हैं ही साथ ही यहां ATDC, CII और NIIT जैसे बड़े स्किल सेंटर्स भी हैं. कई राष्ट्रीयकृत बैंक हैं. यही कारण है कि युवा उनके विकास मॉडल से प्रभावित रहे हैं.
हनुमान भक्त की छवि वाले नेता…
कमलनाथ सभी समुदायों के लिए सर्वमान्य नेता माने जाते हैं. वे हनुमान भक्त भी हैं. छिंदवाड़ा में 101 फीट की हनुमान जी की मूर्ति लगवाई. उनके माध्यम से हिंदू वोटर्स को भी साधना आसान है. हाल ही में पार्टी ने रामनवमी और हनुमान जयंती पर अपने पदाधिकारियों, विधायकों एवं कार्यकर्ताओं को रामलीला, सुंदरकांड एवं हनुमान चालीसा का पाठ करने के निर्देश दिए हैं.