भोपाल : अब मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार की शराब नीति पर सवाल उठाए गए हैं। यह सवाल किसी और ने नहीं बल्कि भारतीय जनता पार्टी की ही नेता और राज्य की पूर्व सीएम उमा भारती ने उठाए हैं। उमा भारती पहले से ही राज्य में शराबबंदी को लेकर मुखर रही हैं। एक मामले में छतरपुर में न्यायालय में पेशी के लिए पहुंचीं उमा भारती ने पत्रकारों से बातचीत में राज्य की शराब नीति में कई खामियां गिनाईं। उमा भारती ने कहा की जब वह मुख्यमंत्री थीं तो उन्होंने भी पूर्ण शराब बंदी नहीं की थी लेकिन जो हो सकता था वह किया था।
उमा भारती ने दावा किया उनकी सरकार में शराब माफियाओं को मध्यप्रदेश में पूरी तरह से खत्म कर दिया गया था। उमा भारती ने कहा कि मेरे शासन काल में शराब से केवल 900 करोड़ रुपये ही राजस्व आता था लेकिन आज लगभग 14000 करोड़ रुपये का राजस्व आता है। शराब से आने वाले राजस्व को अर्थतंत्र का हिस्सा नही मानना चाहिए। नशा एक रोग है, हमें यह कोशिश करनी है कि शराब कम से कम बिके यह कोशिश नहीं होनी चाहिए कि लोग ज्यादा से ज्यादा शराब पीएं।
वर्तमान शराब नीति में त्रुटि
उमा भारती ने कहा की वर्तमान शराब नीति में त्रुटि है जिसमे बदलाव की ज़रूरत है। उमा भारती ने कहा की शराब कहां बिकनी है और कहां नहीं इसके लिए एक गाइड लाइन होनी चाहिए। साथ ही शराब कहां पी जा सकती है इसके लिए भी सरकार को मापदंड तय करने होंगे। आज बुंदेलखंड के हर गली गांव में शराब बिक रहा है जिसका सीधा असर मजदूर वर्ग, महिलाओं एवं आने वाली पीढ़ी पर पड़ता है।
मंदिर, मस्जिद के पास ना बिके शराब
पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने कहा की वर्तमान में शराब की दुकानें कहीं पर खोल दी गई हैं। जिससे राजस्व तो बढ़ रहा है लेकिन सामाजिक माहौल खराब हो रहा है। मेरा मानना है कि जहां धार्मिक स्थल हैं जैसे- मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वार या चर्च, शिक्षा केंद्र जैसे स्कूल, कॉलेज या अन्य ऐसी जगहें जहां पर महिलाओं का जमावड़ा लगता हो वहां से कम से कम एक किलोमीटर की दूरी पर ही शराब की दुकाने हों।
शराब पीने के लिए भी बने नीति
उमा भारती ने कहा की शराब पीने के लिए भी एक नीति बननी चाहिए। अहाते बंद हों और सिर्फ बीयर बार में ही पीने की अनुमति मिले। उस पर भी लगातार निगरानी रखी जाए और जो भी नियमों का उलंघन करे उस पर सख्त कार्रवाई हो।