राजस्थान : 700 साल पुराने इस मंदिर में 123 करोड़ का गबन, पुजारी सहित 4 पर आरोप, जानिए चढ़ावे में हेरफेर की कहानी…

उदयपुर : राजस्थान के राजसमंद जिले के 700 वर्ष पुराने एक मंदिर में चढ़ावे के करोड़ों रुपये गबन करने का मामला सामने आया है। यह मामला नाथद्वारा के शिशोदा गांव में भेरुजी क्षेत्रपाल मंदिर का है। यहां करीब 123 करोड़ रुपये का यह गबन का मामला उजागर हुआ है। इस मंदिर में हर माह लाखों श्रद्धालु अपना शीश झुका कर चढ़ावा चढ़ाते हैं। इस मामले में कोर्ट में परिवाद दायर किया गया। इसके बाद कोर्ट ने राज्य सरकार को उच्चस्तरीय एजेंसी से जांच करवाने के निर्देश दिए हैं।

पुजारी समेत चार लोगों पर करोड़ों की हेरा फेरी का आरोप

शिशोदा गांव में भेरुजी क्षेत्रपाल मंदिर में करोड़ों रुपये के गबन में 4 लोगों की भूमिका सामने आई है। इसमें मंदिर का पुजारी विजय सिंह, मुनीम रूप सिंह, अंबालाल और गणेश लाल जिन पर 123 करोड़ रुपये के गबन का आरोप लगा है। इस मामले में खमनोर पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया गया। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया। इसकी सुनवाई पर न्यायालय ने राज्य सरकार को उच्च स्तरीय जांच के निर्देश दिए हैं।

करीब 700 साल पुराने मंदिर में आते हैं लाखों श्रद्धालु

शिशोदा गांव का भेरुजी क्षेत्रपाल मंदिर करीब 700 वर्ष पुराना बताया गया है। यहां हर रविवार को विशाल मेले का आयोजन होता है। इसमें 8 से 10 हजार श्रद्धालु शिरकत करते हैं। हर वर्ष यहां चार बार जागरण का कार्यक्रम होता है। यह परंपरा करीब 30 वर्षों से चल रही है। इसके चलते यहां हर महीने लाखों श्रद्धालु चढ़ावा चढ़ाते हैं। कोर्ट में दायर परिवाद में आरोप लगाया कि कई वर्षों से मंदिर और देवता की संपत्ति पर भारी वित्तीय अनियमितता की जा रही है। यही नहीं, चढ़ावे की राशि भी हड़पी जा रही है। परिवाद में बताया कि जबसे देवस्थान विभाग और सरकार ने इस मंदिर की व्यवस्था संभाली, तब से यहां की मासिक आय करीब 30 लाख रुपये से अधिक हो गई है।

20 साल से मंदिर की आय का कोई ब्यौरा नहीं

परिवाद में बताया कि भेरुजी मंदिर में वर्ष 2001 से 2021 तक मंदिर के पुजारी विजय सिंह ने एक रुपये का हिसाब नहीं दिया है। आशंका है कि 20 साल के हिसाब में करीब 123 करोड़ रुपये का गबन हुआ है। इस मामले में राजसमंद अतिरिक्त न्यायिक मजिस्ट्रेट ने गबन राशि और परिवाद में लगाए गए आरोपों को देखते हुए राज्य सरकार को उच्चस्तरीय एजेंसी से जांच कराने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा कोर्ट ने इस आदेश की कॉपी पुलिस महानिदेशक, अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (अपराध), अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (विजिलेंस), पुलिस मुख्यालय जयपुर और पुलिस महानिरीक्षक रेंज को स्पीड पोस्ट और ईमेल के जरिए भेजी है।

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