रांची। भाकपा माओवादी संगठन पीपुल्स वार ग्रुप और एमसीसी के विलय का 18वां साल मना रहा है। 21 से 27 सितंबर तक चलने वाले भाकपा माओवादी स्थापना सप्ताह के दौरान भाकपा माओवादियों की केंद्रीय कमेटी ने 22 पृष्ठ का संदेश जारी किया है। इससे यह खुलासा हुआ है कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में हुए आंदोलन में भाकपा माओवादी संगठन से जुड़े लोग भी शामिल हुए थे।
भाकपा माओवादियों ने कृषि कानूनों की वापसी को अपनी सफलता बताने की भी कोशिश की है। वहीं भाकपा माओवादियों ने आने वाले दिनों में केरल से लेकर ओडिशा में चल रहे कई आंदोलनों के समर्थन की बात अपने संदेश में कही है। भाकपा माओवादी संगठन में सरेंडर रोकने पर भी रणनीति बनाई जा रही है।
कोबाड घैंडी को माओवादियों ने गद्दार घोषित किया
भाकपा माओवादियों के सदस्य रहे कोबाड घैंडी को अब माओवादियों ने गद्दार घोषित कर दिया है। जेल में बंद कोबाड के बारे में माओवादी केंद्रीय कमेटी ने लिखा है कि उसने क्रांतिकारी आंदोलन से गद्दारी कर फ्रैक्चर्ड फ्रीडम ए प्रिजन मेम्वार नाम की किताब लिखी है। इस किताब को केंद्रीय कमेटी ने गद्दारी का दस्तावेज बताया है। उन्हें संगठन का नाकारात्मक शिक्षण बताया गया है।
पीएलजीए के जरिए गुरिल्ला कार्रवाई बढ़ाने की बात
माओवादियों ने पीएलजीए के जरिए गुरिल्ला कार्रवाई को बढ़ाने की बात कही है। उन्होंने लिखा है कि झारखंड में मनोहरपुर विधायक के सुरक्षागार्ड पर हमला कर दो को मौत के घाट उतारना और तीन एके-47 की जब्ती, ओडिशा में नुवापाड़ा-पाताधारा में सरप्राइज एंबुश कर दो एसआई समेत तीन सीआरपीएफ जवानों को मार दिया गया था।
दंडकारण्य के अलग-अलग इलाकों में भी पीएलजी के जरिए गुरिल्ला वार का उदाहरण दिया गया है। पीएलजीए के बलों को मजबूत करने के लिए विभिन्न पार्टी कमेटियों के द्वारा माओवादी कक्षाएं व मिलिट्री प्रशिक्षण भी कैंप में दिए गए हैं। इस दौरान माओवादियों को कॉबोट स्किल्स, टेक्निकल स्किल्स और इंप्रूवाइज्ड हथियारों के इस्तेमाल का प्रशिक्षण भी दिया गया है।
तैयारी पर सुरक्षाबल फेर चुका है पानी
देशभर में बिहार, झारखंड व दंडकारण्य को भले ही माओवादियों ने आधार क्षेत्र बनाने की रणनीति बनाई है, लेकिन जमीन हकीकत यह है कि इन इलाकों में सुरक्षाबलों ने माओवादी संगठन को बड़ा झटका दिया है। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिहार को नक्सल मुक्त घोषित किया है, वहीं झारखंड-छत्तीसगढ़ में पड़ने वाले 30 किलोमीटर का बूढ़ापहाड़ भी पूरी तरह माओवादियों के चंगुल से मुक्त हो चुका है। बूढ़ापहाड़ रणनीतिक तौर पर पूरे देश के माओवादियों के लिए महत्वपूर्ण था। बीते 30 साल से यहां माओवादियों का प्रभाव था। माओवादियों के प्रशिक्षण केंद्र यहां थे, साथ ही यह इलाका शीर्ष केंद्रीय कमेटी सदस्य के अधीन होता था।
क्या है भाकपा माओवादियों की योजना
भाकपा माओवादियों की योजना दंडकारण्य, बिहार-झारखंड, पूर्वी बिहार-पूर्वोतर झारखंड को आधार इलाके के रूप में विकसित करने के लक्ष्य पर काम किया है। यानी इन इलाकों को देशभर में माओवादी आंदोजन के केंद्र के तौर पर डेवलप किया जाएगा। पार्टी, पीएलजीए को मजबूत करने का लक्ष्य केंद्रीय कमेटी ने रखा है। छापामार व जनयुद्ध को व्यापक और तेज करने की दिशा में भी माओवादी रणनीति बना रहे हैं।