जबलपुर : जबलपुर पहुंचे RSS प्रमुख डॉ मोहन भागवत का बड़ा बयान सामने आया है, संतों के एक कार्यक्रम में पहुंचे मोहन भागवत ने कहा कि दुनिया के अध्ययन में ये बात सामने आई है कि, सबसे ज्यादा सेवा हमारे संत करते हैं, उन्होंने फिर कहा कि सनातन धर्म ही हिंदू राष्ट्र, हिंदू संस्कृति है, इसीलिए भारत आने वाले दिनों की महाशक्ति है लेकिन बिना शक्ति के कोई काम नहीं, शिव को भी शक्ति चाहिए, भागवत ने कहा कि ये बात भी सत्य है कि भारत की शक्ति दूसरों को दर्द देने के लिए नहीं शांति प्रदान करने के लिए होगी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत आज जबलपुर में है। मोहन भागवत सोमवार की देर रात बुरहानपुर से जबलपुर पहुंचे जहां विश्राम करने के बाद आज दोपहर शास्त्री ब्रिज स्थित स्वामी रामादेवाचार्य की द्वितीय पुण्यतिथि कार्यक्रम में शामिल हुए और उनकी प्रतिमा का अनावरण भी किया। कार्यक्रम में कई साधु संत भी मौजूद हैं।
दरअसल जबलपुर में 12 अप्रैल से 18 अप्रैल तक स्वामी रामादेवाचार्य जी की द्वितीय पुण्यतिथि को लेकर कई कार्यक्रम चल रहें हैं, इसी कार्यक्रम के अंतिम दिन आज संघ प्रमुख मोहन भागवत जबलपुर पहुंचे हैं। बताया जा रहा है कि इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी को भी शामिल होना था पर वह किसी कारण से नहीं आ पाए। संघ प्रमुख मोहन भागवत ब्रह्मलीन जगतगुरु श्यामादेवाचार्य की प्रतिमा का अनावरण करने के बाद इस दौरान मोहन भागवत नरसिंह मंदिर परिसर में साधु संतों का आशीर्वाद भी लिया।
उपस्थित जन समूह को संबोधित करते हुए आरएसएस प्रमुख ने कहा कि जब तक श्रृष्टि का प्रयोजन बना रहेगा जब तक भारत का अस्तित्व रहेगा, भारतवर्ष का प्रयोजन अमर है और मनुष्य दुनिया का सबसे दुर्बल जीव है। डॉ भागवत ने कहा कि विज्ञान ने सुख, सुविधा, भौतिकवाद दिया लेकिन शांति, संतोष नहीं दिया, धर्म पहले भी था, आज भी है आगे भी रहेगा जब तक श्रृष्टि है तब तक धर्म बना रहेगा।
डॉ भागवत ने आगे कहा कि दुनिया ने जब युद्ध करके जब अपना वर्चस्व स्थापित करने की कोशिश की, तब हमने युद्ध पीड़ितों को मरहम लगाया, दुनिया के अध्ययन में ये बात सामने आई है कि, सबसे ज्यादा सेवा हमारे संत करते हैं, सनातन धर्म ही हिंदू राष्ट्र, हिंदू संस्कृति है।
उन्होंने कहा कि भारत आने वाले दिनों की महाशक्ति है, बिना शक्ति के कोई काम नहीं होता, शिव को भी शक्ति चाहिए लेकिन भारत की शक्ति दूसरों को दर्द देने के लिए नहीं शांति प्रदान करने के लिए होगी, भारत विश्व गुरु बनने जा रहा है और हमें बनना ही है लेकिन संतों के बताए मार्ग पर चलकर बनना है।