आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने भारत सरकार के प्रवर्तन निदेशालय को लिखा पत्र, मध्यप्रदेश के परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया…

भोपाल : आरटीआई एक्टिविस्ट अजय दुबे ने भारत सरकार के प्रवर्तन निदेशालय को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने मध्यप्रदेश के परिवहन विभाग में गड़बड़ियों और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा है कि खे गए प्राइवेट निजी लोग जो कटर से जाने जाते हैं पर प्रतिबंध किया है। जोगा के पत्र से भ्रष्टाचार की पुष्टि होती है। इसी के साथ उन्होंने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए जाँच की मांग भी की है।

अजय दुबे द्वारा लिखा गया पत्र

प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक के नाम पत्र में अजय दुबे ने लिखा है कि ‘भारत वर्ष के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के भ्रष्टाचार मिटाने के पवित्र संकल्प से प्रेरित होकर मैं मध्यप्रदेश के परिवहन विभाग में व्याप्त बड़े भ्रष्टाचार से अर्जित बड़ी राशि जब्त करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण जानकारी प्रस्तुत कर रहा हूं। यह वह मध्यप्रदेश है जहां के परिवहन विभाग के अफसरों को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने चंबल के डकैत का तमगा दिया था। हाल में ही परिवहन अपर आयुक्त उमेश जोगा ने आदेश जारी कर राज्य की सीमा पर स्थित परिवहन चौकियों को बंद कर वसूली हेतु रखे गए प्राइवेट निजी लोग जो कटर से जाने जाते हैं पर प्रतिबंध किया है। जोगा के पत्र से भ्रष्टाचार की पुष्टि होती है, पत्र संलग्न।’

मेरा आग्रह है कि – १)मध्यप्रदेश में १ जुलाई २०२४ से परिवहन चौकियों में भ्रष्टाचार समाप्त करने के लिए चौकियां बंद हुई इसलिए पूर्व में वसूली गई अवैध धन राशि को जब्त किया जाए और प्रमुख कुख्यात कटर जैसे संजय ,अलीम ,पटेल ,सौरभ सहित बघेल, तकाराम अफसरों की संपत्ति राजसात कर इनकी सीडीआर की जांच हो। २)कुछ दिन पूर्व परिवहन चौकियों में पदस्थापना हेतु बड़ी संख्या में सरकारी अफसरों /कर्मचारियों से राशि एकत्रित की गई लेकिन अब चौकी बंद होने से पैसे की वसूली पर माहौल तनावपूर्ण है ये अफसर नई मोबाइल पेट्रोलिंग व्यवस्था में पदस्थापना नही चाहते। परिवहन मुख्यालय ग्वालियर और भोपाल कैंप ऑफिस में पदस्थ बड़े अफसरों सहित निजी लोगो के संबंधों को जांच हो। परिवहन विभाग के करीब ४० आरटीओ कार्यालयों पर निजी कटर लॉबी का कब्जा और आरटीओ के पासवर्ड प्राप्त कर अधिकृत मोबाइल पर otp हासिल कर निजी एजेंट द्वारा परमिट /लाइसेंस जारी करने आदि कार्य संपादित होते हैं।सूत्रों के अनुसार यह सब कार्य करने वाले देर शाम को करते है जिसकी पुष्टि आरटीओ की लोकेशन से पता चल सकता है। यह जांच का विषय है कि विगत कई वर्षो से सैंकड़ों अवैध परिवहन चौकियां कैसे संचालित हुई और भारत सरकार के निर्देशों के बावजूद इतने विलम्ब से बंद क्यों हुई। समस्त आवश्यक पत्र संलग्न।’

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