भोपाल : मध्य प्रदेश के जबलपुर में पैरामेडिकल कालेजों ने स्कॉलरशिप घोटाला करके मध्य प्रदेश सरकार को करीब तीन करोड़ से ज्यादा का चूना लगाया है। जिनके खिलाफ एफआईआर के साथ कुर्की का आदेश जबलपुर के कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी ने जारी किया है। बताया जा रहा है कि इस पूरे घोटाले का खुलासा वकील विशाल बघेल ने आरटीआई लगाकर किया था।
बताया जा रहा है कि वकील विशाल बघेल ने 2015 में जबलपुर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर करते हुए जांच की मांग की थी। जिसके बाद सरकार ने स्कॉलरशिप घोटाले की जांच लोकायुक्त को सौंप दी थी। फिर जनवरी 2022 में विशाल बघेल ने आरटीआई के माध्यम से घोटाले से जुड़े सभी तथ्यात्मक रिकॉर्ड निकाल कर एक बार फिर हाईकोर्ट के दरवाजे पर दस्तक दी। और जब हाईकोर्ट से सरकार को नोटिस जारी हुआ तब वे नींद से जागी और घोटालेबाजों से रिकवरी के लिए कमर कसी।
जानकारी मिली है कि आदिवासी छात्रों की स्कॉलरशिप में घोटाला करने वाले पैरा मेडिकल कॉलेजों में पहला नाम एस.पी.आइ.पी.एम.टी पैरा मेडिकल महाविद्यालय का है। इस कॉलेज ने 225 छात्रों के साथ बेईमानी की थी। जिसके बाद इस कॉलेज से करीब 48 लाख से ज्यादा रुपये की रिकवरी निकल रही है। इसी कड़ी में जबलपुर इंस्टीट्यूट ऑफ पैरा मेडिकल टेक्नोलॉजी कॉलेज जबलपुर का है जिसके ऊपर 139 छात्रों की स्कॉलरशिप डकारने का आरोप है। जिसकी रकम 22 लाख रुपये से ज्यादा की बताई गई है।
ये आकड़े सरकार की ओर से हाई कोर्ट में पेश किए गए है। इसी तरह महाकौशल इंस्टिट्यूट ऑफ पैरा मेडिकल साइंस कॉलेज ने 129 छात्रों की 20 लाख रुपये से ज्यादा की स्कॉलरशिप का घोटाला किया है। और इन दोनों कालेजों का संचालक एक ही व्यक्ति है।
दरअसल इन कॉलेजों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जा रही है। साथ ही उनसे घोटाले की रकम वसूल करने कलेक्टर द्वारा आरआरसी भी जारी की जा रही है। जबलपुर में स्कॉलरशिप के घोटालेबाज कॉलेजों की संख्या 19 है और घोटाले की रकम 3 करोड़ से ज्यादा है।
इस मामले को लेकर जबलपुर कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी ने राजस्व अधिकारियों को साफ निर्देश दिए है कि जिन भी पैरामेडिकल कॉलेजों में पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप मामले में अनियमितताएं हुई हैं।इनके खिलाफ थानों में एफआईआर दर्ज कराई जाए। उन्होंने कहा कि किसी भी कीमत पर दोषी कॉलेजों को छोड़ा न जाए।