मध्यप्रदेश के चयनित सब इंजीनियर्स ने नियुक्ति के लिए शुरु किया ‘पढ़ाई सत्याग्रह’, आमरण अनशन पर बैठे…

भोपाल : मध्यप्रदेश के चयनित सब इंजीनियर्स ने नियुक्ति प्राप्त करने के लिए अनोखा तरीका निकाला है। इन्होने पढ़ाई सत्याग्रह शुरु किया है और इसके तहत ये सभी किताब और कटोरा रखकर शिवराज सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। ये लोग आमरण अनशन पर चले गए हैं। इस विरोध प्रदर्शन को एनएसयूआई नेता रवि परमार ने समर्थन दिया है और सब-इंजीनियर्स के साथ धरने पर वो भी धरने पर बैठ गए हैं। इसी के साथ युवा हल्ला बोल के प्रदेश अध्यक्ष अरुणोदय सिंह परमार समेत कई अभ्यर्थी यहां आमरण अनशन पर बैठ गए हैं।

क्या है मामला

बता दें कि मध्यप्रदेश कर्मचारी चयन मंडल द्वारा नवंबर 2022 को कराई गई संयुक्त भर्ती परीक्षा में सब इंजीनियर के पद पर चयनित अभ्यर्थियों को सामान्य प्रशासन विभाग के 26 जून 2023 के आदेश के बाद होल्ड पर कर दिया गया था। ताज्जुब की बात तो ये है कि होल्ड किये गए मेरिटधारी अभ्यर्थियों का डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन भी करवा लिया गया था। डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के समय इन अभ्यर्थियों से उनके अन्य जॉब से त्यागपत्र भी मांगा गया था इसके चलते अब अभ्यर्थियों के पास उनका पिछला जॉब भी नहीं बचा है। इन अभ्यर्थियों का कहना है कि हम से कम अंक लाने वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी गयी है और हमें ज्यादा अंक लाने के बावजूद होल्ड कर दिया है, जो सरासर अन्याय है।

मीडिया से चर्चा करते हुए इन अभ्यर्थियों ने कहा कि 31 विभाग में से लगभग 20 विभागों ने सभी अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे दी है लेकिन कुछ विभागों ने 13% ओबीसी अभ्यर्थियों को होल्ड कर दिया है | हमें होल्ड किये जाने से मेरिट प्रक्रिया का उल्लंघन किया गया, जिससे एक ही वर्ग (ओबीसी) के कम नंबर वाले लोगों की नियुक्ति हो गई और अधिक नंबर वाले होल्ड हो गए, एक ही परीक्षा में ऐसा अन्यायपूर्ण व्यवहार प्रशासन और विभाग द्वारा हमारे साथ किया गया है।

आमरण अनशन पर बैठे

इस मुद्दे पर अब भोपाल के रोशनपुरा चौराहे पर युवा हल्ला बोल के नेतृत्व में प्रदेश भर से आये चयनित सब इंजीनियर्स ने पढ़ाई सत्याग्रह का आगाज किया। इसके तहत युवा हल्ला बोल के प्रदेश अध्यक्ष अरुणोदय सिंह परमार समेत कई अभ्यर्थी आमरण अनशन पर बैठ गए है और इनका कहना है कि अनशन नियुक्ति मिलने तक जारी रहेगी। एनएसयूआई नेता रवि परमार ने आमरण अनशन का समर्थन करते हुए कहा मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार द्वारा मंत्रियों के बंगले से प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी चल रही है, जिसका मुख्य उद्देश्य पैसे लो और नौकरी दो है। इस कारण हर भर्ती परीक्षा में धांधली और भ्रष्टाचार कर अयोग्य अभ्यर्थियों को नौकरी दी जा रही है। उन्होने कहा कि खुद को युवा हितैषी बताने वाली भाजपा सरकार झूठी घोषणाओं के माध्यम से युवाओं के साथ छलावा कर रही है।

इंजीनियर्स ने अपने रिपोर्ट कार्ड में शिवराज सरकार को किया फेल

युवा हल्ला बोल के प्रदेश अध्यक्ष अरुणोदय सिंह परमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि “आज से हम मध्यप्रदेश में बेरोजगारी के खिलाफ जन संघर्ष का आगाज करने जा रहे हैं। मेरे साथ आमरण अनशन में बैठे सभी चयनित सब इंजीनियर अभ्यर्थियों ने यह प्रतिज्ञा ली है की जब तक हाथ में नियुक्ति पत्र नहीं आ जाते हम भूख हड़ताल पर बैठे रहेंगे। सरकार ने एक ही वर्ग OBC के ज्यादा अंक वालो को होल्ड कर दिया है और कम अंक वालों को नियुक्ति दे दी है।  इसे घोटाला नहीं तो और क्या कहा जाए? सुना है की कल अमित शाह जी शिवराज सरकार का रिपोर्ट कार्ड जारी करेंगे। खुद अपनी पीठ थपथपाना अच्छी बात नहीं होती। हम प्रदेश के युवा है और लोकतंत्र में सरकार के काम काज की समीक्षा जनता करती है सरकार नहीं। हमने आज सरकार का रिपोर्ट कार्ड जारी किया है जिसमें शिवराज सिंह चौहान फेल हो गए है। 1 वर्ष में 1 लाख सरकारी नौकरी देने की बात शिवराज सिंह ने की थी। आप खुद सोचिये जो चयनित सब इंजीनियर को नियुक्ति नहीं दे पाए उन्होंने क्या ही नौकरियां दी होंगी ? मध्यप्रदेश का युवा नरेंद्र मोदी और शिवराज सिंह की कथित डबल इंजन की सरकार से हताश हो चुका है। अब समय आ चुका है की प्रदेश का युवा सड़कों पर उतर कर अपना हक मांगे।”

सरकार पर घोटालों का आरोप

उन्होने कहा कि युवा हल्ला बोल मध्यप्रदेश के हर युवा की लड़ाई लड़ने को तैयार है। मध्यप्रदेश में कोई भी भर्ती प्रक्रिया बिना घोटाले के पूरी नहीं होती। 50 प्रतिशत कमीशन की सरकार युवाओं की परेशानी का कारण है। शिवराज सिंह चौहान की सरकार में पैसा प्रतिभा को कुचल रहा है। पैसा लाओ पटवारी बन जाओ जैसी योजनाएँ मध्यप्रदेश में चल रही है। फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट बनाये जा रहे हैं। कुल मिलाकर हम कह सकते हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान युवाओं के सपने को, युवाओं के भविष्य को कुचलने का काम कर रहे है लेकिन हम मुख्यमंत्री से कह देना चाहते हैं कि मध्यप्रदेश का युवा अब और नहीं सहने वाला। उन्होने कहा कि अब वो अपने हक के लिए सत्ता के अहंकार और भ्रष्टाचार से लड़ने को तैयार है और इसी लड़ाई के तहत हम सब इन अभ्यर्थियों के साथ आमरण अनशन पर बैठे हैं।

मुख्य बिंदु

एमपी सब इंजीनियर भर्ती (संयुक्त भर्ती परीक्षा 2022) में भारी गड़बड़ियां, अभ्यर्थियों का कहना है कि –

  • अधिक अंक वालों की नियुक्ति रोकी गई है, कम अंक वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति दे गई है।
  •  लोक निर्माण विभाग ने कुछ ऐसे अभ्यार्थियों को संविदा कर्मी आरक्षित सीटों पर नियुक्त कर दिया था जो वास्तव में संविदा कर्मी लाभ की पात्रता नहीं रखते थे। विरोध होने पर आनन फानन में 3 अभ्यार्थियों की नियुक्ति लोक निर्माण विभाग द्वारा 19 जून को निरस्त की गई थी।
  • संविदा कर्मी आरक्षण के नियम – अभ्यर्थियों को म. प्र. शासन के विभाग /निगम/ मंडल में 5 वर्ष तक उसी पद(जिसके लिए भर्ती आयोजित की गई है) या समकक्ष पद पर  संविदा सेवा की हो!।
  • जल संसाधन विभाग ने 29 और 30 जून को 550 से अधिक अभ्यार्थियों के नियुक्ति पत्र जारी किए थे, पर आज तक नियुक्ति पत्रों की जानकारी  न विभाग के पोर्टल पर अपलोड किए हैं और न ही RTI में इन नियुक्तियों की जानकारी दी जा रही है। आशंका है कि जल संसाधन विभाग की भर्ती में भारी भ्रष्टाचार हुआ हो, जिसे छिपाने के लिए नियुक्ति की जानकारी को छिपाया जा रहा है।
  • कहीं सरकार ने हमारे हक की सीट कम अंक वाले को बेच तो नहीं दी ?
  • उपयंत्री संविदा आरक्षित सीटों पर चतुर्थ श्रेणी के संविदा सेवकों को उपयंत्री पद हेतु लाभ दिया गया ,जबकि संविदा आरक्षण नियम के अनुसार इस लाभ हेतु उसी पद या समकक्ष पद या उच्च श्रेणी का संविदा सेवक होना चाहिए।

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