इंदौर : ब्रिटेन में ऋषि सुनक के पीएम बनने से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उम्मीदें भी जग गई हैं। शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को कहा कि राज्य सरकार लंदन के एक संग्रहालय में रखी वाग्देवी (सरस्वती) की पवित्र प्रतिमा को भारत वापस लाने की कोशिशें फिर से शुरू करेगी। मालूम हो कि हिंदू समुदाय की ओर से वाग्देवी की प्रतिमा ब्रिटेन से वापस लाने की मांग बरसों से की जा रही है। लेकिन इस प्रतिमा से जुड़ा एक विवाद भी है जिसे आज तक नहीं सुलझाया जा सका है।
यह है मूर्ति से जुड़ा विवाद
गौरतलब है कि भारत में अपने शासन के दौरान अंग्रेज इस प्रतिमा को 1875 में लंदन ले गए थे। माना जाता है कि इंदौर के पास स्थित धार के राजा भोज ने वाग्देवी की प्रतिमा को इस प्राचीन नगरी के भोजशाला परिसर में 1034 ईस्वी में स्थापित किया था। भोजशाला केंद्र सरकार के अधीन एएसआई (भारतीय पुरातत्व विभाग) का संरक्षित स्मारक है। हिंदुओं का मानना है कि भोजशाला वाग्देवी यानी विद्या की देवी सरस्वती का मंदिर है, जबकि मुस्लिम समुदाय इस जगह को कमाल मौला की मस्जिद बताता है।
भोजशाला में मंगलवार को होती है पूजा, शुक्रवार को पढ़ी जाती है नमाज
दोनों समुदायों के इस स्थान को लेकर अपने अपने दावे हैं। इस विवाद को आज तक सुलझाया नहीं जा सका है। भारत पुरातत्व विभाग यानी एएसआई की बरसों से जारी व्यवस्था के तहत हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार को भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार को इस जगह पर नमाज अदा करने की इजाजत है।
प्रभावी ढंग से की जाएगी पहल
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि (लंदन के संग्रहालय में रखी) वाग्देवी की प्रतिमा को भारत वापस लाने की पहल प्रभावी ढंग से प्रारंभ की जाएगी। मुख्यमंत्री इंदौर में आयोजित ‘यंग थिंकर्स कॉनक्लेव’ के उद्घाटन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध और दुनिया के अन्य टकरावों का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि विश्व शांति की राह ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ (पूरा विश्व एक ही परिवार है) की भारतीय अवधारणा में निहित है।