शोले का फेमस डायलॉग ‘कितने आदमी थे’ को कितने टेक में लिया गया जानिये हमारे इस आर्टिकल में

साल १९७५ में आयी ब्लॉकबस्टर फिल्म ‘शोले’ ने बॉलीवुड के दर्शकों पर अपनी एक अलग ही छाप छोड़ रखी है। आज हम आपको फिल्म शोले के अनसुने तथ्य और इसके किरदारों से जुडी कुछ अनसुनी बातें बताने जा रहे है।

  • फिल्म शोले की कास्टिंग के समय अभिनेता धर्मेंद्र ‘गब्बर’ का किरदार करना चाहते थे। बाद में वो ‘वीरू’ के किरदार के लिए राजी हो गए, जब उन्हें ये पता चला कि हेमा मालिनी उनके साथ होगी।
  • साल १९५० के समय में मध्यप्रदेश के बीहड़ों में ‘गबरा’ नाम का एक सचमुच में असली डाकू हुआ करता था, जो गांव वालों के अलावा पुलिस वालों के नाक और कान काट दिया करता था। इसी कारण तीन राज्यों की पुलिस ने उसके ऊपर ५० हजार का इनाम रखा हुआ था। फिल्म का किरदार ‘गब्बर सिंह’ इसी डकैत से प्रेरित है।
  • उन दिनों अभिनेत्री हेलन का फ़िल्मी करियर बेहद बुरे दौर से गुजर रहा था। फिल्म की कहानी लिखने वाले सलीम साहब ने ही उन्हें फिल्म में एक आइटम नंबर गाने ‘मेहबूबा-मेहबूबा’ के लिए मौका दिया, जिसे बाद में दर्शकों द्वारा काफी पसंद किया गया।
  • फिल्म शोले की कास्टिंग के समय अभिनेता धर्मेंद्र ‘गब्बर’ का किरदार करना चाहते थे। बाद में वो ‘वीरू’ के किरदार के लिए राजी हो गए, जब उन्हें ये पता चला कि हेमा मालिनी उनके साथ होगी।
  • साल १९५० के समय में मध्यप्रदेश के बीहड़ों में ‘गबरा’ नाम का एक सचमुच में असली डाकू हुआ करता था, जो गांव वालों के अलावा पुलिस वालों के नाक और कान काट दिया करता था। इसी कारण तीन राज्यों की पुलिस ने उसके ऊपर ५० हजार का इनाम रखा हुआ था। फिल्म का किरदार ‘गब्बर सिंह’ इसी डकैत से प्रेरित है।
  • फिल्म के मुख्य किरदार जय और वीरू के नाम फिल्म के लेखक सलीम साहब ने अपने कॉलेज के दो दोस्तों के नाम पर रखा था, वीरेन सिंह और जय सिंह था।
  • फिल्म शोले के बाद से ही बॉलीवुड में पटकथा लेखकों की डिमांड और पैसे दोनों बढ़ गए थे और उन्हें अपने काम के अच्छे-खासे दाम मिलना शुरू हुए थे।
  • आपको बता दें कि इस फिल्म के गाने ‘ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे’ को फिल्माने के लिए पूरे २१ दिन का समय लगा था।
  • शोले पहली फिल्म थी जो १०० से भी ज्यादा सिनेमाघरों में २५ हफ्ते से भी ज्यादा समय तक लगी रही थी। मुंबई के ‘मिनर्वा थियटर’ में फिल्म शोले लगातार ५ सालों तक लगी रही थी।
  • फिल्म में ठाकुर का किरदार पहले एक रिटायर्ड आर्मी अफसर का था, जिसे फिल्म निर्माताओं ने बाद में बदलकर पुलिस अफसर में कर दिया था।
  • फिल्म का एक और मशहूर किरदार ‘सुरमा भोपाली’ जिसे जगदीप जी ने निभाया था, एक असल किरदार था। भोपाल में ही रहने वाले सुरमा एक वन विभाग के अधिकारी थे और जगदीप जी के ही जान-पहचान वाले थे।
  • फिल्म में गब्बर सिंह के अहम् किरदार को सबसे पहले डेनी डेन्जोप्पा को दिया गया था और इसके लिए उन्हें सायनिंग अमाउंट भी दे दिया गया था, मगर बाद में तारीखें नहीं मिलने की वजह से यह रोल अभिनेता अमजद खान की झोली में आ गया।
  • फिल्म का एक मशहूर डायलॉग ‘कितने आदमी थे’ को करीब ४० बार फिल्माया गया था और बाद में इन्हीं में से एक सीन को फाइनल कर चुना गया था।
  • अचरज की बात यह है कि इस फिल्म में ‘सांभा’ के किरदार को पूरी फिल्म में एक ही डायलॉग दिया गया था, मगर फिर भी उस किरदार को निभाने वाले मैक मोहन को आज भी ‘सांभा’ के नाम से ही जाना जाता है।
  • शुरुवात में जय के किरदार के लिए शत्रुघ्न सिन्हा को चुना गया था। बाद में यह किरदार अमिताभ बच्चन को दिया गया। फिल्म ‘जंजीर’ ने अमिताभ जी को स्टार बनाया था, मगर फिल्म ‘शोले’ ने अमिताभ जी को सुपरस्टार बनाया था।