चेन्नई : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के उस बयान पर पलटवार किया कि जिसमें उन्होंने कहा कि ‘हिंदी पूरे देश को एकजुट करती है।’ स्टालिन ने कहा कि यह इंडिया है हिंदिया नहीं है। स्टालिन ने यह भी कहा कि तमिल समेत भारतीय भाषाओं को केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा बनाया जाना चाहिए और हिंदी दिवस के बजाय भारतीय भाषा दिवस मनाया जाना चाहिए।
‘विविधता में एकता के आदर्श के खिलाफ’
दरअसल, गुजरात में अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के संबोधन का हवाला देते हुए स्टालिन ने दावा किया कि शाह ने लोगों से देश की संस्कृति और इतिहास को समझने के लिए हिंदी सीखने की वकालत की है। पीटीआई ने बताया कि द्रमुक की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान के मुताबिक स्टालिन ने कहा कि देश में कई भाषाएं बोलने वाले लोग रहते हैं और अमित शाह द्वारा हिंदी की वकालत करना राष्ट्र की विविधता में एकता के आदर्श के खिलाफ है।
‘देश को विभाजित करने का प्रयास ठीक नहीं’
रिपोर्ट के मुताबिक स्टालिन ने ‘हिंदी थोपने’ के खिलाफ अपनी पार्टी के ऐतिहासिक रुख का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘इंडिया’ अपनी अखंडता के लिए जाना जाता है और ‘हिंदिया’ के नाम पर देश को विभाजित करने के उद्देश्य से कोई प्रयास नहीं होना चाहिए। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने केंद्रीय गृह मंत्री से मांग की कि संविधान की आठवीं अनुसूची में सूचीबद्ध तमिल सहित सभी 22 भारतीय भाषाओं को केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा बनाया जाए।
बोले- हिंदी दिवस की बजाय भारतीय भाषा दिवस मनाया जाए
इतना ही नहीं स्टालिन ने कहा कि मैं आग्रह करता हूं कि हिंदी दिवस मनाने के बजाय भारतीय भाषा दिवस मनाकर संस्कृति और इतिहास को मजबूत किया जाए। हालांकि स्टालिन ने यह भी कहा कि अगर अमित शाह को स्थानीय भाषाओं की चिंता है तो उन्हें तमिल जैसी भाषाओं को हिंदी और संस्कृत के समान धन आवंटित करना चाहिए।
स्टालिन ने आरोप लगाया कि यह रवैया दर्शाता है कि तमिल भाषा को दूर करके हिंदी को ‘राष्ट्रीय भाषा’ के रूप में पेश किया जाए। अन्य भाषाएं जो साहित्य और संस्कृति में समृद्ध हैं। स्टालिन ने यह भी कहा कि उत्तर भारत में बोली जाने वाली मैथिली और भोजपुरी जैसी कई भाषाएं हिंदी के प्रभुत्व के कारण लगभग विलुप्त होने का सामना कर रही हैं।
आगे स्टालिन ने यह भी कहा कि यह कहना कि किसी को संस्कृति और इतिहास को समझने के लिए हिंदी सीखनी चाहिए, भारत के विविधता में एकता के सिद्धांत के खिलाफ है, जिसमें विभिन्न भाषाएं बोलने वाले लोग शामिल हैं। भारत की संस्कृति और भारत का इतिहास हिंदी में छिपा नहीं है।