भोपाल : मेडिकल कॉलेज में प्रशासक की नियुक्ति के विरोध में प्रदेश के सभी चिकित्सीय संगठन लामबंद हुए।दरअसल सरकार प्रदेश के पूरे 13 मेडिकल कॉलेज में प्रशासकीय अधिकारियों की नियुक्ति का प्रस्ताव लेकर आ रही है। इसी को लेकर ये विरोध कर रहे हैं। इनका कहना है कि टेक्निकल संस्थाओं में टेक्नोक्रेट्स काम करें न कि ब्यूरोक्रेट्स। इनका कहना है कि देश में कहीं भी मेडिकल कॉलेजों में ब्यूरोक्रेट्स की नियुक्ति नहीं है तो मध्यप्रदेश में ऐसा क्यों हो रहा है। मंगलवाल 22 नवंबर को सुबह साढ़े 8 बजे से सभी 13 कॉलेज के डॉक्टर प्रदेशव्यापी कामबंद हड़ताल पर जा रहा है। इसमें हमीदिया अस्पताल (जीएमसी) में सभी चिकित्सीय संगठन भी शामिल होंगे।
13 मेडिकल कॉजेल के डॉक्टर हड़ताल पर
मंगलवार को पूरे प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेज में सभी प्रकार के चिकित्सीय कार्य, ओपीडी, ऑपरेशन, शैक्षणिक कार्य काउंसलिंग के कार्य पूर्ण रुप से बंद रहेंगे। सोमवार को मेडिकल कॉलेज में डिप्टी कलेक्टर-एसडीएम की नियुक्ति के केबिनेट के प्रस्ताव के विरोध में शहर के सभी चिकित्सा संगठन गांधी मेडिकल कॉलेज में एकत्रित हुए। ऐसी ही आम सभा प्रदेश के समस्त 13 चिकित्सा महाविद्यालयों में आयोजित की गई एवं एकमत से हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया गया। जीएमसी भोपाल में धरना प्रदर्शन में मेडिकल टीचर एसोसिएशन, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष, यूनाइटेड डॉक्टर फेडरेशन के अध्यक्ष, मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन के अध्यक्ष, नर्सिंग होम एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष एवं प्रदेश सचिव, कर्मचारी कल्याण समिति चिकित्सा महाविद्यालय के प्रदेशाध्यक्ष, जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन अध्यक्ष और कई वरिष्ठ चिकित्सक, अधिकारी, कर्मचारी शामिल हुए।
आगे भी सभी सेवाएं बंद करने की चेतावनी
जीएमसी भोपाल में धरना प्रदर्शन में मेडिकल टीचर एसोसिएशन, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष, यूनाइटेड डॉक्टर फेडरेशन के अध्यक्ष, मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन के अध्यक्ष, नर्सिंग होम एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष एवं प्रदेश सचिव, कर्मचारी कल्याण समिति चिकित्सा महाविद्यालय के प्रदेशाध्यक्ष, जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन अध्यक्ष और कई वरिष्ठ चिकित्सक, अधिकारी, कर्मचारी शामिल हुए। मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन के साथ धरने प्रदर्शन में शामिल सभी संगठनों ने एक स्वर में यह कहा कि ये पूरी तरह से प्रदेश के चिकित्सीय संस्थानों एवं चिकित्सा महाविद्यालयों को बर्बाद करने वाला निर्णय है और अगर सरकार यह निर्णय लागू करती है तो हम सभी चिकित्सीय संगठन सड़कों पर आने को बाध्य हो जाएंगे। उन्होने चेतावनी दी कि अगर सरकार इस प्रस्ताव को लागू करती है तो वो सभी सेवाएं बंद कर देंगे। इसी के साथ उन्होने कहा कि अगर सरकार उनकी बात मानती है वो तुरंत काम पर लौट आएंगे।