भगवान राधा-कृष्ण का यह गोपाल मंदिर ग्वालियर के फूलबाग में है। जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान राधा-कृष्ण को हीरे, पन्ना, माणिक, पुखराज, नीलम, सोना-चांदी जड़ित गहनों के साथ सजाया गया था। भगवान ने सोने का मुकुट तो हीरे का हार पहना हुआ था। हर साल लाखों भक्त देश-विदेश से आते हैं। वहीं कई भक्त ऐसे भी हैं जो फेसबुक के माध्यम से कान्हा का दर्शन करते हैं।
100 करोड़ रुपए के गहनों से श्रृंगार करने वाले भगवान राधा-कृष्ण सुरक्षा में सैंकड़ों पुलिस-फोर्स के जवान तैनात होते हैं। मंदिर के आसपास के इलाके को छाबनी में तब्दील कर दिया जाता है। वैसे भगवान सबकी रक्षा करते हैं, लेकिन चोरों की वजह से इनकी सुरक्षा किसी किले की सुरक्षा की तरह की जाती है।
गोपाल मंदिर के बारे में बताया जाता है कि इसका निर्माण सिंधिया राजवंश ने सन 1921 में कराया था। इसके बाद सिंधिया रियासत के महाराज माधवराव ने इसका जीर्णोद्धार कराया और भगवान के लिए बेशकीमती ज्वैलरी में हीरे और पन्ना जड़ित गहने बनावाए।
आजादी के बाद सिंधिया राजवंश ने इस मंदिर की देखरेख और कीमती गहनों को भारत सरकार को सौंप दिए थे। जिनको जिला कोषालय के लॉकर में रखा जाता है। इनकी जिम्मेदारी जिला कलेक्टर की होती है।