नई दिल्ली : व्हाट्सऐप दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले मैसेजिंग प्लेटफॉर्म में से एक है। लाखों लोग इसका इस्तेमाल करते हैं। सुप्रीम कोर्ट की ओर से प्राइवसी पॉलिसी के मामले पर बड़ा बयान सामने आया है। 2021 में घोषित हुई ऐप की प्राइवसी पॉलिसी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। जिसे लेकर SC ने कंपनी को फटकार लगाई है और यूजर्स को सच बताने के निर्देश दिया है। कोर्ट में याचिका दर्ज होने के बाद भी चैट ऐप को डेटा ड्राफ्ट प्रोटेक्शन बिल का इंतजार था।
सुप्रीम कोर्ट ने ये बात कही
दरअसल, प्राइवसी पॉलिसी को स्वीकार करना यूजर्स के लिए अनिवार्य नहीं होता है। वो बिना इसे एकसेप्ट किये चैट और अन्य सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। डेटा प्रोटेक्शन बिल के फाइनल स्टेप से पहले ही पाँच जजों के बेंच ने व्हाट्सऐप को निर्देश दिए हैं। और कहा कि यूजर्स तक इस बात का प्रचार किया जाए कि वो प्राइवसी पॉलिसी को स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं है। साथ ही उन्हें जानकारी भी दी जाए कि बिना डेटा शेयरिंग पॉलिसी को माने वो मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर सकते हैं। बता दें की वर्तमान में ऐसी कोई भी पॉलिसी लागू नहीं है।
याचिका में की गई ये मांग
बता दें कि साल 2021 में व्हाट्सऐप द्वारा नई प्राइवसी पॉलिसी का ऐलान किया गया था। इन पॉलिसी के तहत यूजर्स से कुछ डेटा शेयर करने की अनुमति मांगी जाती थी। इस पॉलिसी को एकसेप्ट करना यूजर्स के लिए अनिवार्य भी कर दिया गया था। यदि कोई ऐसा नहीं करता है तो ऐप का इस्तेमाल करने में सक्षम नहीं है, ऐसी शर्ते मेटा द्वारा रखी जाती थी। इस पॉलिसी को भारत में चुनौती दी गई और एक याचिका भी सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि WhatsApp भारतीय उपभोक्ताओं के साथ भेद-भाव करता है। साथ ही मेटा को डेटा शेयरिंग पर बैन लगाने मांग भी की गई थी।